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उस रात कुछ ऐसा हुआ था कि हवा में घुल गया जहर, मच गई थी भीषड़ तबाही
आनंद शुक्ल
2 Dec 2017 1:40 PM IST

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भोपाल गैस कांड के बारे में बताते हुए आज भी लोगों के दिल दहल जाते हैं और आंखें भर आती है। इतने वर्षों बाद भी गैस पीड़ित उचित न्याय और सहायता की आस लगाये बैठे हैं।
भोपाल: गैस कांड के जख्म तीन दशक बाद भी ताजा है। आज से 33 साल पहले 2 दिसम्बर की रात को यूनियन कारबाइड फैक्ट्री से अचनाक मिथाइल आइसो साइनाइड गैस का रिसाव शुरू हुआ और इसके बाद भोपाल की हवा में घुले जहर ने तकरीबन 15 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया।
इस हादसे में जो बचे वो त्रासदी से आजतक जूझ रहे हैं। गैस त्रासदी कितनी भयावह थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गैस प्रभावित कई लोगों के यहां जन्म लेने वाले बच्चे निःशक्तता का दंश झेल रहे हैं। विश्व की भीषणतम औद्योगिक गैस त्रासदी को 33 साल हो गए, 15 हजार से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला देने वाले भोपाल गैस कांड के बारे में बताते हुए आज भी लोगों के दिल दहल जाते हैं और आंखें भर आती है। इतने वर्षों बाद भी गैस पीड़ित उचित न्याय और सहायता की आस लगाये बैठे हैं।
80 साल की गैस पीड़ित भूरी बाई का कहना है कि सरकार की ओर से मिलने वाली पेंशन से किसी तरह गुजारा हो जाया करता था, लेकिन अब तो सरकार ने पेंशन ही बंद कर दी है। सरकार गैस पीड़ितों को केवल धोखा दे रही है। यह गैस पीड़ितों के साथ अन्याय है। वहीं भोपाल के गैस पीड़ितों का कहना है कि सरकार से जो अपेक्षाएं गैस प्रभावितों को थी वे अब तक पूरी नहीं हो पायी है. आज भी कई लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त मुआवजे की राह देख रहे है। भूरी बाई ने बताया कि जिस समय गैस रिसाव हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे रेल गाड़ी का धुआं छूट रहा हो। जान बचाने के लिए लोग इधर उधर भाग रहे थे। लाशों के ऊपर से ट्रक गुजरते हुए भी हमने देखा है। लाशें सड़क पर पड़ी थी और उनके ऊपर से ट्रक गुजर कर निकल रहे थे।
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