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झाबुआ की हार पर बीजेपी अध्यक्ष पर से बीजेपी विधायक ने सवाल, पार्टी ने दे दिय अनुशासनहीनता का नोटिस

भोपाल। भाजपा के इतिहास में शायद पहली बार इतनी जल्द कार्यवाही हुई। झाबुआ उपचुनाव हारने के बाद भाजपा के सीनियर विधायक केदारनाथ शुक्ला ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की काबिलियत पर सवालिया निशान खड़े कर दिए और यह तक कह डाला कि उन्हीं के असक्षम नेतृत्व के चलते पार्टी चुनाव हारी है।
शुक्ल ने यहां तक कह दिया कि राकेश सिंह के नेतृत्व में पार्टी चौपट हो रही है और उन्हें जल्द पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाना चाहिए। शुक्ल का इतना बोलना था कि पार्टी में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में पार्टी के प्रदेश महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा ने केदारनाथ शुक्ल की इस बयान बाजी को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें नोटिस थमा कर जवाब मांग लिया। शुक्ल के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को सीधी जिले में चल रही सांसद और विधायक के बीच तकरार से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल शुक्ल और सांसद की बिल्कुल नहीं पटती और सांसद प्रदेश अध्यक्ष के खेमे की मानी जाती है। ऐसा कई बार हुआ जब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ किसी नेता ने बयान बाजी की हो और उसका बाल भी बांका न हुआ हो। वर्तमान में भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ही विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ जमकर बोल चुके हैं। लेकिन पार्टी ने उन्हें नोटिस देना तो दूर एक जवाब तक नहीं मांगा।
पार्टी के एक अन्य सीनियर नेता रघुनंदन शर्मा भी गाहे-बगाहे शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चा खोलते रहते हैं और आज भी उन्होंने केदारनाथ शुक्ल की राय से इत्तेफाक रखते हुए पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। लेकिन उन पर कार्रवाई की चर्चा तक नहीं हुई। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश जा रहा है आखिर अनुशासनहीनता के नाम पर कार्यवाही चुन चुन कर क्यों होती है?