भोपाल

गुना एनकाउंटर : मुठभेड़ या असल अपराधियों को बचाने का खेल ? हैरान कर देने वाली जांच रिपोर्ट

Shiv Kumar Mishra
24 May 2022 12:32 PM GMT
गुना एनकाउंटर : मुठभेड़ या असल अपराधियों को बचाने का खेल ? हैरान कर देने वाली जांच रिपोर्ट
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मुठभेड़ या असल अपराधियों को बचाने का खेल ?

तथ्यात्मक जाँच रिपोर्ट

जाँच की दिनांक

19-20 मई 2022

जाँच दल के सदस्य

एडवोकेट आराधना भार्गव (प्रदेश अध्यक्ष)

वसिद खांन (प्रदेश महासचिव)

राकेश मिश्रा (वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता)

श्रीकांत वैष्णव (सदस्य एन.सी.एच.आर.ओ)

घटना का सक्षिप्त विवरण :-

पुलिस द्वारा मीडिया में दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार दिनांक 13 -14 मई की मध्यरात्रि करीब 3 से 4 बजे के बीच पुलिस टीम को सुचना मिली थी कि कुछ शिकारी सगाबरखेडा के जंगल में काले हिरन और मौर का शिकार कर रहे हैं जिस पर पुलिस कि रात्रि कालीन गश्त पर मौजूद पुलिसकर्मी वहां पहुंचे। इसी दौरान शिकारी पक्ष कि तरफ से पुलिस पर गोलीबारी शुरु कर दी गई जिसके जवाब में पुलिसकर्मियों द्वारा भी गोलियां चलाई गयी। इस मुठभेड़ के दौरान 3 पुलिसकर्मी शहीद हुए जिनमे एक एस आई और 2 आरक्षक शामिल थे। इस पूरे घटनाक्रम में गाड़ी का चालक बच निकला जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस के दावे क्व अनुसार घटना के बाद पुलिस ने नोशाद कि लाश को उसी के घर से बरामद किया जिसके बाद प्रशासन द्वारा नोशाद के घर को सम्पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया गया। फिर उसी दिन यानि 14 मई कि शाम को पुकुस द्वारा शहजाद खान का भी एनकाउंटर क्र दिया गया। शेहजाद के एनकाउंटर के पश्चात पुलिस ने दो एनी आरोपियों को भी अपनी गिरफ्त में लिया जिनको घटना स्थल पर शिनाख्त कराने के लिए ले जाया जा रहा था। पुलिस के मुताबिक उसी दौरान आरोपियों ने गाडी का स्टेयरिंग खींच दिया और बन्दूक छीन कर गोली चलाकर भागने की कोशिश की जिसमे बजरंगगढ़ थाना प्रभारी अमित अग्रवाल को चोट लगी लेकिन उन्होंने अपराधियों को पैर में गोली मारकर भागने कि कोशिश को विफल बना दिया। तत्पश्चात आरोपियों को आरोन न्यायलय में पेश किया गया जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया।

समाचार पत्र दैनिक भास्कर में प्रकाशित घटना कि एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार 13-14 मई की दरमियानी रात नौशाद और उसके साथी काले हिरणों और मोर का शिकार कर लौट रहे थे। आरोन थाने के एस आई राजकुमार जाटव को मुखबिर ने पहले ही सूचना दे दी थी। शहरोक जंगल से लगे बरखेड़ा रोड तिराहे पर पुलिस पोजिशन लिए खड़ी थी। रोड के एक छोर पर आरोन तो दूसरे छोर पर सगा बरखेड़ा है। तिराहे पर फतेहपुर के लिए रास्ता है। एस आई राजकुमार जाटव बरखेड़ा रोड के किनारे अपनी बाइक पर और उनके ठीक सामने फतेहपुर रोड के दोनों किनारों पर कॉन्स्टेबल संतराम और हेड कॉन्स्टेबल नीरज भार्गव पोजिशन लिए खड़े थे। फतेहपुर रोड पर कुछ दूर ही पुलिस टीम में शामिल ड्राइवर लखनगिरी गोस्वामी और कॉन्स्टेबल प्रदीप सरकारी गाड़ी में बैठे थे। तड़के 3 बजे शिकारी पुलिस को आते दिखे। पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए रोका।

एस आई जाटव और शहजाद में कहासुनी होने लगी। इसी गहमागहमी में SI ने सर्विस रिवॉल्वर से उसके भाई नौशाद को गोली मार दी। सर्विस रिवॉल्वर में 10 गोलियां थीं। शिकारियों को काबू करने के लिए यह सभी गोलियां उन्होंने 5 से 7 मिनट के भीतर चला दी। रिवॉल्वर खाली होते ही शहजाद ने SI को गोली मार दी। हेड कॉन्स्टेबल संतराम पर हमला कर दिया। उसके साथियों ने संतराम से इंसास राइफल छीन ली। इतने में शहजाद ने संतराम को भी गोली मार दी। आरक्षक नीरज के पास ना बंदूक थी और ना पिस्टल। संतराम को गोली मारने के बाद शहजाद ने नीरज को भी गोली मार दी और जंगल के रास्ते अपने गांव बिदौरिया पहुंच गया।

पुलिस टीम के साथ गए ड्राइवर ने बताया था कि वह घटनास्थल से कुछ दूर ही था। चारों तरफ घना जंगल था। गोलियों की आवाज आ रही थी, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मैं गाड़ी चला रहा था, तो एक गोली मेरे हाथ में आकर लगी। एक गोली गाड़ी में लगकर मेरी पीठ में उसका छर्रा लगा। मुझे प्रदीप भैया (आरक्षक) आरोन अस्पताल ले आए। मैं और प्रदीप भैया ही फोर व्हीलर में बैठे थे। बाकी लोग हमें नहीं दिखे, नहीं तो उन्हें भी ले आते। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जंगल में शिकारियों की मौजूदगी की सूचना देने वाले मुखबिर ने यह सब होते हुए देखा। वह भी मौके पर था। वहां से भागकर आरोन थाने पहुंचा। थाने पर मौजूद पुलिस अफसरों को घटना की जानकारी दी।

बिदौरिया गांव के शहजाद और नौशाद ने घटना से दो दिन पहले भी दो काले हिरणों का शिकार किया था। इसकी जानकारी मुखबिर ने सब इंस्पेक्टर राजकुमार जाटव को दी थी। जाटव ने शहजाद और नौशाद को शिकार नहीं करने की समझाइश देकर मामला खत्म कर दिया था लेकिन दोनों आरोपियों ने परिवार में बेटी की शादी का हवाला देकर 5 काले हिरणों का शिकार अगले एक-दो दिन में करने की योजना SI जाटव को बता दी थी। इतना ही नहीं, दोनों भाइयों ने शिकार के बदले SI को बतौर रिश्वत में मोटी रकम देने का ऑफर भी दिया था, जिसे SI ने न तो खारिज किया था और न मंजूर।

घटना सम्बन्धित जाँच

एन.सी.एच.आर.ओ मध्यप्रदेश की टीम सम्पूर्ण घटना की जाँच करने 19 मई 2022 को गुना पहुँची। इस दौरान जाँच दल कई स्थानों पर पहुंचा एवं प्रत्येक पक्ष से बातचीत की। उक्त बातचीत के अंश निनानुसार हैं:-

गुना शहर में शादी में बिरयानी बनाने तथा प्रतिदिन ठेले पर बिरयानी बेचकर अपना जीवन यापन करने वाले ईशाक उम्र लगभग 56 वर्ष के घर पर पहुँचे। वहाँ उनके बुज़ुर्ग पिता शहजादबक्श उम्र लगभग 77 वर्ष मिले। उन्होंने बताया कि मेरा बेटा ईशाक सीधा एवं अनपढ़ है, उसे फोन चलाना भी नही आता ठेले पर बिरयानी बेचने का काम करता है। कहीं शादी में बिरयानी बनाने का आर्डर मिलता है तो जाता है। इसी से मेरे परिवार का खर्चा चलता है। दिनांक 13/05/2022 को मेरा बेटा विदौरिया ग्राम में नौशाद के घर आर्डर पर बिरयानी बनाने के लिए गया था। सिराज की बेटी अर्शी की शादी थी। 13 मई की रात में नौशाद की लाश घर पर आने के कारण शादी नही हुई और मेरा बेटा बिना बिरयानी बनाए वापस लौट आया। परन्तु घर पर नही आया, पुलिस वाले मेरे घर पर आकर मुझे परेशान कर रहे हैं। मै बीमार हूँ, मेरा कोई ईलाज करने वाला नही है, मेरे बेटे ने कोई अपराध नही किया है।

इरशाद जो की पेशे से गाड़ी चालक (ड्रायवर) का काम करता है उसकी रिश्तेदारी नौशाद के परिवार से है। सिराज की बेटी अर्शी की शादी का कार्ड उसके परिवार में आया था इस कारण उसने अपनी पत्नि रूबिना को शादी में ग्राम बिदौरिया भेजा था। जब 14 तारीख को शादी न होने की खबर लगी तो वह अपनी पत्नि रूबिना एवं बेटे को लेने विदौरिया ग्राम गया तथा पत्नि और बच्चे को लेकर गुना वापस आ गया। दिनांक 18/05/2022 को इरशाद दोपहर की नमाज पढकर अपने घर जा रहा था तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया तथा लगातार उसके साथ मारपीट करते रहे। दिनांक 21/05/2022 को पुलिस ने उसे मजिस्टेट के सामने पेश किया जबकि उसकी गिरफ्तारी 18 मई 2022 को नमाज पढ़ने के बाद उसके घर से की गई।

20 मई 2022 को जाँच दल सुबह 7:30 बजे ग्राम विदौरिया पहुँचा। सबसे पहले ग्राम में मृतक नौशाद तथा शहजाद की माँ हसीन बानो उम्र लगभग 55 वर्ष पति निसार निवासी पठानी मोहल्ले में रोती बिलखती मिली। उन्होंने बताया कि दिनांक 14/05/2022 को उनके बेटे सिराज की बेटी अर्शी की शादी होने वाली थी, 13 मई को रात्रि में गाना बजाना तथा मेंहदी की रस्म चल रही थी तभी गांव का गगन सरपंच तथा कल्ला सरपंच आये, दोनों ने मेरे बेटे नौशाद और शहजाद को जंगल चलने के लिए कहा। सरपंच अपने साथ अपनी बन्दूक लाया था और मेरे दोनों बेटों को लेकर जंगल चला गया और हम लोग शादी के कार्यक्रम में लग गये। रात्रि में ही गगन तथा कल्ला अपनी मोटर साईकिल पर मेरे बेटे नौशाद को लेकर आये तथा नीचे सुला दिया, इतने में पुलिस भी आ गई और मेरे बेटे नौशाद को लेकर चली गई। गांव में गोली बारी शुरू हो गई, पुलिस ने गांव वालों को मारना पीटना शुरू कर दिया मुझे तथा मेरे पति निसार और बेटे सिराज को बहुत मारा। मेरे पति निसार बीमार रहते हैं तथा उनकी उम्र लगभग 77 वर्ष है, पुलिस ने उनके सारे नाखून उखाड़ दिये। मेरे पति और मेरे बेटे को मारते हुए पुलिस की गाड़ी में लेकर गये, 6 दिन तक उनके साथ बहुत मारपीट किये, 6 दिन बाद मजिस्टेट के सामने पेश करने के बाद उन्हें जेल पहुँचा दिया गया। दिनांक 14 तारीख को पुलिस ने बुलडोजर बुलवाकर मेरे तीनों बैटे नौशाद, शहजाद तथा सिराज के घर तुड़वा डाले तथा मिट्टी में मिला दिये। बस्ती के अन्य लोगों के घर भी तोड़ डाले उन्होंने कहा कि पुलिस मेरे बेटे नौशाद, शहजाद को ले जाती उन्हें 10 साल तक की सजा करवा देती परन्तु मेरे बेटों को जिन्दा रहने देती। मेरे तीनों बेटों के मकान मेरे ससुर ने बनवाये थे। सात पीढ़ि से हमारे लोग इन मकानों में रहते आए हैं मकान में मेरी बहुऐं तथा नातियों का भी हक है, उसे तोड़ दिया। मकान नही तोड़ते तो मैं अपनी बहुओं और नाति पौतो को घर में रख तो सकती थी, घर की साया भी पुलिस वालों ने एक झटके में छीन लिया। मेरा बेटा शहजाद अपने भाई नौशाद को मिट्टी देने आ रहा था, पुलिस वालों ने वहीं मेरे बेटे को मार डाला मेने पुलिस को मारते देखा है।

सिराज की पत्नि ने बताया कि मेरी बेटी अर्शी की शादी थी। शादी के लिए 10 क्विंटल गेंहू, 5 किलो घी, तथा शादी का सारा सामान, खाने-पीने एवं दावत का सामान घर में रखा था। घर तोड़ने के कारण गेंहू तथा राशन का सामान पुलिस वालों ने नष्ट कर दिया तथा मेरी बेटी की शादी के लिए दो लाख रूपये नगद तथा चाँदी की पायल, सोने की झुमकी और सोने का मंगलसूत्र पुलिस वाले लेकर चले गये। दहेज में देने वाली अल्मारी को जेसीबी से तोड़ डाला। टूटी हुई अलमारी जाँच दल को दिखाई गई।

रूबिना - उम्र लगभग 25 वर्ष पति स्व. नौशाद ने बताया कि वे शादी में गई थी और 12 तारीख को ही लोट कर आई थी। इस कारण 13 मई को अपने घर में रात्रि में जल्दी सो गई थी। ननद की लड़की ने आकर बताया कि मामु को कुछ हो गया है। मैं अपने घर में नीचे आई तो लोगों ने कहा कि बी.पी बढ़ गया होगा, मैं अपने पति को ठीक से देख नही पाई और पुलिस मेरे पति को उठा कर ले गई। गांव में गोली बारी शुरू हो गई, मेरे पलंग पर रखा मेरा मोबाइल तथा मेरा मंगलसूत्र भी पुलिस वाले ले गये। 14 तारीख को जेसीबी बुलाकर मेरा मकान तोड़ डाला और मेरे माता पिता ने मुझे दहेज में वाशिंग मशीन, फ्रिज, कूलर, सोफा सेट, डबल बेड का पलंग, ड्रेसिंग टेबिल, सिंगारदानी तथा गृहस्थी का सभी सामान दिया था, पुलिस वालों ने वह सब भी तोड़ डाला। मेरे बच्चों के पैर में चप्पल नही है, मै भी दूसरों की चप्पल पहने हुई हूँ। बच्चे भूख और प्यास से तड़प रहे हैं, हमारी मदद के लिए गांव को लोग अगर आते हैं तो पुलिस उन्हें डराती है और कहती है कि उनकी मदद करोगें तो तुम पर भी मुकदमा दर्ज करके तुम्हें भी जेल पहुँचा देंगे। गांव वाले चाहकर भी हमारी मद्द नही कर पाते। मेरे पति की मिट्टी (अंतिम संस्कार) करने के लिए आये शहजाद को पुलिस ने मार डाला। राग्होगढ़ के मुस्लिम कमेटी के सदस्य नूर खाँ, हसन खाँ, कबीर खाँ आदि लोगों ने उसे मिट्टी दी।

अर्शी - मेरी शादी 14 मई को होनी थी शादी के लिए मेरे पिता ने डीजे किराये पर बुलवाया था, नाच गाना चल रहा था। मेरे हाथों में मेंहदी लगाई जा रही थी घर का माहौल खुशनुमा था, मेरे सामने मेरे चाचा नौशाद और शहजाद को गांव के सरपंच अपने साथ ले गए थे तथा मेरे चाचा नौशाद को मरी हुई हालत में घर पर छोड़कर चले गए। पुलिस ने गगन तथा कल्ला पर कोई कार्यवाही नही की, मेरे दहेज के सामान को बुलडोजर से तुड़वा दिया गया। पुलिस मेरी शादी के लिए रखे 2,00,000/- रूपये, चाँदी की पाजेब, मंगलसूत्र तथा झुमकी लेकर चले गए। मेरे ससुराल वाले हमारे साथ हैं, शादी करना चाहते है, हमसे मिलना चाहते है पर पुलिस वाले किसी को बस्ती में नही आने दे रहे हैं । मेरे पिता सिराज ने शादी के कार्यक्रम के लिए डीजे बुलवाया था उसे भी पुलिस वालों ने तोड़ डाला तथा उसे वापस नही ले जाने दे रहे हैं।

बशीर खान - नौशाद, शहजाद, सिराज वल्द निसार के घर से मेरा घर 300 फिट की दूरी पर है। मैं अपने घर से छोटे छोट बच्चों को खाना या पानी देता हूँ तो मुझे पुलिस मुल्जिम बनाकर जेल में डालने की धमकी देती है। जिन निर्दोष लोगों के मकान तोड़ दिये गये हैं उनके घरों में खाने के लिए ना तो राशन है, ना ही पैसे हैं। गर्मी के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं, ईलाज के लिए पैसे नही है और डॉक्टर भी ईलाज करने को तैयार नही है, बीमार बच्चों को भी ईलाज के लिए पुलिस जाने नही दे रही है।

परवीन - मेरी उम्र लगभग 35 वर्ष है। मेर पति का नाम रईस खान है। मेरा घर बुलडोजर से पुलिस ने तोड़ डाला है और मेरे खेत में 50 हजार की भटे की फसल लगी थी उसे भी तहस नहस कर दिया गया है।

नरगिस - मेरे पति का नाम गुलाम नबी है। पुलिस ने मुझे घसीटते हुए अपनी गाड़ी में बिठाया तथा थाने ले गई और कहा कि अपने पति को पेश नही कराया तो तुझे जेल में डाल देंगे। पुलिस ने मेरे साथ बहुत मारपीट और बदसलूकी की।

इरशाना - मेरा घर ग्राम विदौरिया में है। लगभग 7 पीढ़ियों से हम लोग इस गांव में रहते हैं। गांव के सभी लोगों के पास मकान के पट्टे है। पुलिस ने मुझे बहुत मारा, गंदी गंदी अशोभनीय गांलिया दी।

बब्ली पत्नी सलीम - मेरे पति प्लांट में मजदूरी करते है। 27 मई 2022 को मेरी बेटी शाजिया की शादी होनी है। मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए 15 हजार की पायल, 55 हजार की झुमकी, तथा 30 हजार का मंगलसूत्र खरीद कर रखा था। दिनांक 14/05/2022 को पुलिस मेरी बेटी की शादी के लिए खरीदा हुए पायल, झुमकी, तथा मंगलसूत्र लेकर चले गए। गेंहू तथा राशन का सामान भी सब बर्बाद कर दिया, अब मैं मेरी बेटी की शादी कैसे करूंगी।

रूकसाना - मेरे 4 बच्चे है तथा मैं स्वयं सहायता समुह से कर्जा लेकर लगभग 6 -7 वर्ष से अपना मकान बना रही थी। अपने मकान में मैंने प्रवेश भी नही किया था और पुलिस वालों ने बुलडोजर बुलाकर मेरा मकान तोड़ डाला, पीने के पानी के मंटके भी तोड़ डाले। चूल्हा जलाने के लिए कण्डों का उपयोग करती थी उसका भी चूरा बना दिया। मेरे बच्चे गरम पानी पीने को मजबूर है, मेरा तथा मेरे पति का अपराधियों से कोई संबंध नही है। गांव में कोई ऐसा बड़ा पेड़ भी नही है जिसके नीचे अपने बच्चों को रख सकूँ। मेरे बच्चों को कैसे पालूगीं और कैसे समुह का कर्जा लौटा पाऊँगी।

नोट: इसके अतिरिक्त सिराज की पत्नी फेहमिदा ने भी घटना का पूरा ब्यौरा दिया तथा पुलिस द्वारा महिलाओ को प्रताड़ित करने व् घरो में लूटपाट करने कि घटनाओ के बारे में बताया।

इसके पश्चात जाँच दल कि सदस्य एडवोकेट आराधना भार्गव द्वारा पुलिस अधीक्षक राजीव कुमार मिश्रा से फोन नम्बर 7049100437 पर दिनांक 20/05/2022 को 10:37 बजे मोबाइल नम्बर 7999176985 से फोन किया परन्तु उन्होंने फोन नही उठाया और न ही बाद में उन्होंने फोन लगाया। बाद में आईजी डी. श्रीनिवास वर्मा से फोन नम्बर 9479998999 पर चर्चा किया और मिलने का समय मांगा उन्होंने समय दिया। एन.सी.एच.आर.ओ मध्यप्रदेश की टीम कमाडेण्ट गुना के कार्यालय में जाकर मिली। पुलिस वालों द्वारा दिनांक 14/05/2022 को गांव विदौरिया में लोगों के घरों से सोना, चाँदी तथा नगद एवं मोबाइल ले जाने के संबंध में शिकायत किया एवं अर्शी की शादी करने में पुलिस द्वारा सुरक्षा एवं सहयोग करने की बात रखी। मृतक पुलिसकर्मियों के घटना स्थल पर पहुँचने के रोजनामचा सान्हा में इन्द्राज तथा हथियार आवंटित करने, प्राईवेट गाड़ी से घटना स्थल पर पहुँचने के संबंध में अधिकारी ने कोई जवाब नही दिया।

जाँच दल का निष्कर्ष - गुना शिकार मामले शक के दायरे में

प्रशासन का ऐसा कथन है कि आरोन के सगा बरखेड़ा गांव के पास सहरोक की पुलिया पर शिकारियों ने तीन पुलिस कर्मियों, जिसमे एस.आई राजकुमार जाटव, प्रधान आरक्षक नीरज भार्गव और अरक्षक संतराम मीणा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब सवाल उठता है ये तीनों पुलिसकर्मी आखिर जंगल में क्यों गये और रोजनामचा सान्हा में उसका उल्लेख है या नही है ? जिस हथियार से पुलिसकर्मीयों ने मृतक नौसाद को मारा वह रायफल पुलिसकर्मियों को किसने, कब और कहाँ आवंटित किये ? पुलिसकर्मियों को घटना स्थल पर पहुँचने के लिए सरकारी वाहन तथा सरकारी ड्रायवर उपलब्ध कराया जाता है फिर ये पुलिसकर्मी प्राईवेट गाड़ी वा प्राईवेट ड्रायवर के साथ क्यों गये ? अगर पुलिस वालों ने प्राईवेट गाड़ी अधिग्रहित की थी तो कब और किससे की, इस संबंध में पुलिस प्रशासन मौन है। जंगल के अन्तर्गत घटने वाले अपराध का क्षेत्राधिकार वन अधिकार अधिनियम 1927 के मुताबिक वन विभाग को है, अगर जंगल के अन्दर शिकारियों द्वारा शिकार करने की सूचना थी तो इस पर वन विभाग को कार्यवाही करनी थी। शासन तथा प्रशासन यह बताने में पूर्णतः असमर्थ रहा कि जंगल के अन्दर शिकारियों द्वारा शिकार किये जाने की जानकारी वन विभाग को क्यों नही थी। वन विभाग के पास जंगल के अन्दर कितने मोर, हिरण, काले हिरण तथा अन्य जानवर हैं इसकी जानकारी भी रहती है तथा शिकारी किस रास्ते से आते और जाते है इसकी भी जानकारी होती है। पुलिस वालों को जंगल के रास्ते की जानकारी भी नही होती। बिना वन विभाग की जानकारी से व वन विभाग के कर्मचारियों के साथ लिए बिना पुलिस वाले शिकारियों को पकड़ने क्यों गये इस पर भी सवालिया निशान है।

इस घटना में जितना अपराध शिकारियों का है उतना ही अपराध मारे गये पुलिसकर्मियों का भी है। बदला लेने की भावना से मध्यप्रदेश की पुलिस निर्दोष अल्पसंख्यकों को पकड़कर पुलिस मुठभेड में मार रही है तथा बुलडोजर से उनके निवास स्थल नष्ट कर रही है। प्रदेश के नेताओं के संबंध अपराधियों के साथ हैं, अखबारों में नेताओं के साथ फोटो छप रहे है, सफेदपौश अपराधियों को बचाने के लिए पुलिस मुठभेड में अल्पसंख्यकों की हत्या कर रही है। शहजाद जिसे पुलिस ने मुठभेड में मार डाला अगर उसके मोबाइल के कॉल डिटेल्स निकाल लिये जाऐं तो पूरी घटना पर से पर्दा उठ सकता है परन्तु मध्यप्रदेश सरकार ऐसा नही चाहती। सफेदपौश माफिया एवं तस्करों को बचाने के लिए पूरा शासन व प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ लगा हुआ है तथा निर्दोष अल्पसंख्यक पुलिस मुठभेड में मारे जा रहे है।

जाँच दल कि माँगे –

1. घटना कि रात पुलिस मुठभेड में मारे गये नौशाद के बाद में शहजाद और छोटू उर्फ़ ज़हीर खान को फर्जी इन्काउण्टर में मारने वाले पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।

2. किसी भी व्यक्ति को न्यायिक प्रक्रिया के अलावा अन्य किसी तरीके से सम्पत्ति से वंचित नही किया जा सकता। मृतक नौशाद, शहजाद के अतिरिक्त सिराज, निसार व अन्य के घर पुलिस ने बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए बुल्डोजर से तोड़ डाले हैं। उन मकानों पर आरोपितों के अलावा उनके पत्नि और बच्चो का भी हक है। निसार और सिराज जो कि वर्तमान में गुना जेल के अन्दर है उनके मकान पर उनकी पत्नि तथा बच्चों का हक है। बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये जिनके मकान प्रशासन द्वारा तोड़ डाले गये है, उन प्रत्येक को 10-10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की राशि देने तथा ग्राम विदौरिया के पठानी मोहल्ले में जिन अन्य निर्दोष लोगों के मकान तोड़े गये है उन्हें भी 10-10 लाख रूपये की राशि देने की मांग यह जाँच दल करता है।

3. मृतक नौशाद की पत्नि रूबिना को उसके विवाह के समय दहेज में टी.वी. फ्रिज, वाशिंग मशीन, सौफा सेट, डबल बेड का पलंग, ड्रेसिंग टेबिल श्रंगारदानी तथा अन्य गृहस्थी का सामान शादी के समय रूबीना के माता पिता ने दिया था जो कि स्त्रीधन कहलाता है, उस पर सिर्फ रूबिना का अधिकार था। स्त्री धन नष्ट करने वाले पुलिसकर्मियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने तथा 10 लाख का मुआवजा दिया जाए।

4. अर्शी की शादी के लिए दो लाख रूपये, चाँदी की पाजेब, 1 तोले सोने की झुमकी, 1/2 तेले सोने का मंगलसूत्र जो पुलिस वाले लेकर चले गये है उन्हें अर्शी को वापस दिलाया जाए।

5. बबली पत्नी सलीम की बेटी शाज़िया की शादी 27 मई 2022 को होनी है। शादी के लिए 15 हजार की चाँदी की पायल, 55 हजार की झुमकी तथा 30 हजार का मंगलसूत्र जो पुलिस वाले 14 मई 2022 को लेकर गये हैं उन्हें वापस दिलाया जाए।

6. मृतक नौशाद, शहजाद के अलावा सिराज व अन्य पीड़ितों के बच्चों के रहने, खाने एवं शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

सुझाव :-

गुना में दिनांक 13 मई 2022 की रात्र में घटना हो जाने के पश्चात् अभी भी अल्पसंख्यकों को इन्काउण्टर में मारे जाने तथा उनकी गिरफ्तारी का सिलसला जारी है। मध्यप्रदेश देश का हृदय है और शान्तिप्रिय राज्य है इसकी शान्ति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य द्वारा सम्प्रदायिक दंगे प्रायोजित किये जा रहे हैं, राज्य संविधान से नही बजरंग दल, आरएसएस के ईशारों पर चल रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी और महगाई चरम पर है। शासकीय कार्यालय भ्रष्टाचार की चपेट में है, बिना भ्रष्टाचार के शासकीय कार्यलय में जनता के काम नही होते। पीने के पानी की त्राहित्राहि मची हुई है अस्पताल में आवश्यक दवाईयाँ भी उपलब्ध नही है, इन सबसे अपना ध्यान हटाने के लिए सरकार अल्पसंख्यकों पर सम्प्रदायिक दंगे के नाम पर हत्या वा बुलडोजर की कार्यवाही कर रही है। इस प्रकार कि अनैतिक एवं ग़ैर कानूनी करवाहियो पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए तथा सरकार द्वारा एक वर्ग विशेष के विरुद्ध भड़काए जा रहे द्वेष पर भी विराम लगाने की आवश्यकता है।

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