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संतों की हजामत उल्टे उस्तरे से!

संतों की हजामत उल्टे उस्तरे से!
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संतों की इस घोषणा से बीजेपी विरोधी नेताओं का गुब्बारा फूल गया था.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गजब के नेता है. उन्होंने बाबाओं को बाबा बना दिया. उनकी उल्टे उस्तरे से हजामत बना दी. चोर को घर की चाबी पकड़ा दी. उसे चौकीदार बना दिया. सारी दुनिया भौंचक्की रह गई. सोचने पर मजबूर हो गई यह क्या किया शिवराजसिंह ने. जो संत नर्मदा घोटाले को लेकर सरकार पर लांछन लगा रहे थे वो अपना मुंह छुपाते घूम रहे है.


इन पांच नेता टाइप संतों ने घोषणा की थी कि वो सब मिलकर अगले 45 दिन तक 'नर्मदा घोटाला' यात्रा करेंगें. उनका कहना था कि पिछले समय जो नर्मदा यात्रा शिवराजसिंह ने की थी उसमें जो घोटाला हुआ था उसका पर्दाफाश करेंगें. उनका कहना था कि इस यात्रा में जितना यश अर्जित करने के नाम पर जो घोटाला हुआ था बहुत बड़ा था. यात्रा के दौरान जो छह लाख पौधे लगाए गये उनको देखा जायेगा कहाँ लगे. पौधों के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ बताया गया.


इनकी इस घोषणा से इन संतों के बारे में आम आदमी की सोच बदल गई. उनके मुताबिक संत केवल संत ही नहीं इनको समाज की भी चिंता है कि कोई जनता का अहित न हो और इन संतों की जनता की नजर में एक बड़ी अच्छी तस्वीर नजर आने लगी. जनता का सोचना था कि ये आरती उतरवाने में ही नहीं मशगुल है इन्हें जनता के भले की भी चिंता है साथ ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े होने की भी कूबत है.


संतों की इस घोषणा से बीजेपी विरोधी नेताओं का गुब्बारा फूल गया था. लेकिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने एक एसी सुई लगाई कि गुब्बारे की हवा फुस्स से निकल गई. शिवराज सिंह ने इन सभी पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया. संतो ने भी बिना देर किये यह दर्जा स्वीकार कर लिया. क्योंकि संत किसी की दी हुई चीज को अस्वीकार नहीं करते है. आनन फानन में यह यात्रा भी अस्थगित कर दी. इन्होने घोषणा कि अब सरकार के साथ मिलकर नर्मदा को हरा भरा बनायेंगे. चूँकि यह घोटाला अब जनता की निगाह में भी आ चुका था. जो लोग इन संतों को बड़ी अच्छी निगाह से देख रहे थे अब बे इनकी दाढ़ी नोचने को आतुर दिख रहें है.


राज्यमंत्री का दर्जा स्वीकार करके इन संतों ने अपना अपमान स्वंय ही कर लिया. प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री समेत सभी इन संतों के चरणों की धुल पाने को हर समय आतुर रहते हों वो लोग अब इनके नीचे काम करने को आतुर दिख रहे है. अब इस बात से घबरा कर ये संत इस दोयम दर्जे के मंत्री पद को ठुकरा कर भी अपना अस्तित्व नहीं बचा सकते है.



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