भोपाल

Shivraj Singh Breaking News: कमजोर पड़ रहा है शिवराज का "संयोजन"

अरुण दीक्षित
1 July 2021 5:15 AM GMT
Shivraj Singh Breaking News: कमजोर पड़ रहा है शिवराज का संयोजन
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लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी असहमति को दरकिनार कर प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास करा दिया।बताया गया कि यह बात दिल्ली तक पहुंची थी।

भोपाल।शिवराज सरकार में सब कुछ ठीक नही चल रहा है।मंत्रिमंडल की पिछली तीन बैठकों में लगातार मंत्रियों ने कुछ फैसलों पर आवाज उठायी है। वे सरकार के फैसलों पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उन्हें रोक नही पा रहे हैं।

सूत्रों के मुताविक कैबिनेट की पिछली तीन बैठकों में मंत्रियों ने अपनी असहमति दर्ज कराई है।शुरुआत उस बैठक में हुई थी जिसमें जल संसाधन विभाग के एक ठेकेदार को उपकृत करने का प्रस्ताव लाया गया था।तब दो वरिष्ठ मंत्रियों ने साफ शव्दों में उस प्रस्ताव पर असहमति जताई।उन्होंने घोषित रूप से भृष्ट एक कम्पनी का उल्लेख भी किया।लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी असहमति को दरकिनार कर प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास करा दिया।बताया गया कि यह बात दिल्ली तक पहुंची थी।

उसके बाद जो कैबिनेट बैठक हुई उसमें रेत के ठेकेदारों को छूट देने का प्रस्ताव था।कुछ मंत्रियों ने उस पर भी अपनी आपत्ति खुले शव्दों में जताई।लेकिन उसका कोई असर नही हुआ।उस प्रस्ताव को थोड़ा घुमाकर पारित कर दिया गया।अवैध खनन रोकने के लिये मंत्रियों का समूह बना चुके शिवराज ने रेत ठेकेदारों का अहित नही होने दिया।

ऐसा ही कुछ कल (मंगलवार को) हुई कैबिनेट बैठक में हुआ।शिवराज की मौजूदगी में वरिष्ठ मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आये ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बहस हो गयी।शिवराज चुपचाप सब देखते रहे।बाद में उन्होंने तोमर को शांत रहकर अपना प्रेजेंटेशन देने को कहा।सभी मंत्रियों के सामने यह वाकया हुआ।

आज एक स्थानीय अखबार में खबर छपने के बाद सत्तारूढ़ दल में हलचल मची।इसी के चलते दोपहर बाद दोनों मंत्रियों ने ट्वीट कर खंडन कर दिया।दोनों ने ही अखबार की खबर को गलत बताया। दोनों का ही कहना है कि ऐसा कुछ हुआ ही नही।लेकिन बैठक में मौजूद अन्य मंत्री चटखारे लेकर इस मामले की चर्चा कर रहे हैं।

दरअसल हो यह रहा है कि "सम्मिलित" सरकार का नेतृत्व भले ही शिवराज सिंह कर रहे हैं लेकिन उनका नियंत्रण अपने मंत्रियों पर नही है।यही बजह है कि लगभग हर कैबिनेट बैठक में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं।

शिवराज की समस्या यह है कि हर फैसले के लिए उन्हें दिल्ली की ओर देखना पड़ रहा है।यही बजह है कि वे मंत्रियों पर अपनी "पकड़" नही बना पा रहे हैं।मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने में हो रही देरी इसी का प्रमाण है।

जिस तरह के फैसले लिये जा रहे उनसे सरकार की साख पर भी बट्टा लग रहा है।लेकिन समस्या यह है कि शिवराज अपनी छवि को "मजबूर" से "मजबूत" नही बना पा रहे हैं।यह हालत मुख्यमंत्री और सरकार दोनों के लिए ही ठीक नही है।फिलहाल विरोध के बाद भी फैसले वही हो रहे हैं जो वे चाहते हैं या जिनकी उनसे उम्मीद की जाती है।

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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