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शिवराज सिंह ने सुनी चुनाव परिणाम की ख़ुफ़िया रिपोर्ट, सुनकर उड़े होश

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संभावित परिणाम को जानकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैरान हो उठे हैं। मध्य प्रदेश के खुफिया विभाग ने मुख्यमंत्री को सरकार बनाने संबंधी रिपोर्ट में उनके फिर से आने के संकेत तो दिए हैं लेकिन दावा पुख्ता नहीं किया है। रिपोर्ट में जहां 80 सीटें भारतीय जनता पार्टी को दी गई है। वहीं 70 सीटों पर कांग्रेस को आगे रहना बताया है। लगभग 80 सीटों पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है।
जिनमें से कुछ सीटों पर निर्दलीय सपा और बसपा के प्रभाव की संभावना जतलाई जा रही है। रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री ने इन 80 सीटों के लिए और गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है की इन्हीं 80 सीटों में सरकार बनाने की चाबी छुपी हुई है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर 500 से 2000 वोटों की हार जीत का गणित छुपा हुआ है। इन सीटों पर भाजपा के कई कद्दावर मंत्रियों का भविष्य भी टिका हुआ है।
गौरतलब है कि लगभग डेढ़ सौ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा को लगभग 5000 वोटों के आसपास या ऊपर जीता हुआ माना जा रहा है। बाकी बची 80 सीटों में गहन समीक्षा के बाद शिवराज मतगणना के पूर्व ही निर्दलीय और छोटे राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों से संपर्क कर भविष्य की रणनीति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अपने अन्य सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर शिवराज यह मानकर चल रहे हैं कि इस बार भारतीय जनता पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिसकी भरपाई संभावनाओं के आधार पर तय की जा रही है। अगर भारतीय जनता पार्टी को 105 के आसपास सीटें मिलती है तो ऐसे में सबसे बड़े दल के तौर पर भारतीय जनता पार्टी प्रभावी भूमिका में रहेगी। ऐसे समय में निर्दलीय प्रत्याशी सरकार बनाने में सहयोग प्रदान कर सकते हैं। शिवराज केंप के अंकगणित को देख कर यह संभावना भी जतलाई जा रही है कि कांग्रेसी की संभावना भी लगभग 100 से 105 सीटों के आसपास बनी रह सकती है।
मध्य प्रदेश के भावी राजनीतिक हालातों को लेकर मुख्यमंत्री को सौपे गए ब्यौरे की देरी कई सवाल खड़े कर रही है। मूलतः खुफिया विभाग को अपनी रिपोर्ट 4 दिन पहले सौंप देना थी। लेकिन यह रिपोर्ट परसों शाम को सौंपी गई है। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साध कर अपने आक्रामक तेवर दिखाने का काम किया है। हालांकि उनके इस आक्रामक तेवर को राजनीतिक और प्रशासनिक जगत में संवैधानिक संस्थाओं पर हमले के तौर पर माना जा रहा है।
गौरतलब है कि शिवराज कई बार इस तरह के हमले करने से बचते नजर आए । जिसे लेकर माना जा रहा है कि परिणाम अगर विपरीत आते हैं तो भविष्य में चुनाव आयोग के खिलाफ जाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को शिवराज ने एक अस्त्र मुहैया कराने का काम किया है ।
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