भोपाल

तो शिवराज की रुखसती की वजह ना बन जाएं कहीं इकबाल!

Shiv Kumar Mishra
21 Dec 2020 1:37 PM GMT
तो शिवराज की रुखसती की वजह ना बन जाएं कहीं इकबाल!
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पनपता असंतोष : संघ-भाजपा की मंशानुरूप परिणाम नहीं दे पा रहे मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी की ईकाई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आला पदाधिकारी और नेता सरकार के कामकाज से नाखुश नज़र आ रहे हैं । नाराजगी की वजह इन नेताओं की अनुशंसा को प्रशासनिक महकमे द्वारा तव्वजो ना दिया जाना है । मध्यप्रदेश के कई मंत्रियों से इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आला पदाधिकारी और भाजपा के सांसद, विधायक, जिलाध्यक्ष और पदाधिकारी नाराज़गी जता रहे हैं। मंत्रियों द्वारा विधायकों से अनुशंसित भाजपा कार्यकर्ताओं और संघ नेताओं की सिफारिशों पर तबादला नहीं किया जाना है । जब मंत्रियों से भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी सहित जिलाध्यक्ष, संघ पदाधिकारी, सांसद, विधायक ज़बाब तलब करते हैं तो मंत्री समन्वय में प्रस्ताव अटकने या अमान्य किए जाने का कारण बता देते हैं । कई मंत्री तो अपनी विवशता का रोना भी इन लोगों के सामने रो चुके हैं जब मंत्रियों को यह बताया गया कि फलांने विभाग में तो आदेश जारी कर दिए गए । सूत्रों के अनुसार सिर्फ चुनिंदा मंत्रियों की सिफारिशों पर ही अमल किया जा रहा है । अधिकांश मंत्रियों के प्रस्ताव अटके हुए हैं ।

एक मंत्री तो इन हालातों की तुलना कमलनाथ सरकार के कार्यकाल से करते हुए कहने लगे कि अगर यही हाल रहा तो मध्यप्रदेश में एक बार फिर मार्च 2020 जैसे हालात बन जाएंगे और शिवराज भी कमलनाथ की तरह रुखसत हो जाएंगे । उन्होंने सीधे सीधे मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सरकार को हाल फिलहाल तबादला नहीं करना हैं तो सिंगल लाइन का आर्डर रोक का निकाल दिया जाना चाहिए । हमें कार्यकर्ताओं को जबाब देना होता है । आज तक समन्वय में भेजी गई फाईलों की अग्रिम कार्रवाई से हमें अवगत कराने लायक भी नहीं समझा जा रहा है ।

नाराजगी राजनैतिक हलकों में हो ऐसा भी नहीं है प्रशासनिक गलियारों में भी बैंस के रवैए की दबे छुपे स्वरों में आलोचना करते कई अधिकारी आपस में बात करते हैं । बैंस शुरू से ही अधिकारियों पर जमकर नकेल डाले रहते हैं । जब बैंस शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ थे तब भी आय ए एस अफसरों से सीधे मुंह बात नहीं किया करते थे । राज्य प्रशासनिक सेवा या अन्य सेवाओं के अधिकारी तो बैंस के सामने जाने से घबराते थे । इसी के साथ ही बैंस का जातिवादी रवैया भी कई अधिकारियों को सदमें में डाल चुका है । मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ रहने के दौरान भी संघ जबरदस्त तरीके से इकबाल सिंह बैंस से नाराज़ रहा था। जिसके चलते शिवराज सिंह चौहान को उन्हें अपने सचिवालय से हटाना भी पड़ा था ।


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