भोपाल

भाजपा का "कमल" खिल गया -कांग्रेस का "कमल" मुरझा गया, मगर ज्योतिरादित्य क्या भाजपा में निभा पाएंगे?

Shiv Kumar Mishra
10 March 2020 5:16 PM IST
भाजपा का कमल खिल गया -कांग्रेस का कमल मुरझा गया, मगर ज्योतिरादित्य क्या भाजपा में निभा पाएंगे?
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कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य की तिकड़ी की तनातनी की वजह से कमलनाथ सरकार पर शुरू होते से ही ग्रहण लगा हुआ था --कमलनाथ को सीएम बनाया गया क्यूंकि वो सोनिया गाँधी उन पर ज्यादा मेहरबान थी.

आज कहानी ख़तम हो गई और सिंधिया ने खुद कहा है कि उसके पार्टी छोड़ने की कहानी एक साल से लिखी जा रही थी. दिग्विजय कमलनाथ को हटाने में समर्थ नहीं था और सिंधिया को भाव नहीं मिला, जो भी चाहा, कुछ नहीं दिया गया.

कांग्रेस में सत्ता सोनिया के हाथों में आने के बाद लगता है. कमलनाथ ने "पप्पू कोला" या तो पीना बंद कर दिया या. "पप्पू कोला" अब असरहीन हो गया उसके लिए जिसकी, वजह से कमलनाथ की गद्दी जाने की नौबत आ गई .

जो लोग कहते थे "वसुंधरा तेरी खैर नहीं.... " उनकी जानकारी में आना चाहिए कि सुना है उसी वसुंधरा ने ज्योतिरादित्य को भाजपा में लाने के जोर लगाया है. ज्योतिरादित्य आ जायेंगे भाजपा में, शायद मंत्री भी बन जाएँ मगर फिर भी मुझे कुछ शंका है --वो भाजपा में क्या निभा पाएंगे और क्या उन पर विश्वास किया जा सकता है.

ये नहीं भूलना चाहिए वो 18 साल से कांग्रेस में रह कर राहुल गाँधी का लंगोटिया ही था, ऐसे में मंत्री बन कर सरकार या भाजपा की गोपनीय बाते पचा पाएंगे, ये समय ही बताएगा.

दूसरी बात, क्या महाराज कांग्रेस का "सेकुलरिज्म" छोड़ पाएंगे और भाजपा के हिंदुत्व पर चल पाएंगे, ये समय ही बताएगा --लेकिन, उम्मीद करता हूँ, महाराज कभी ऐसा नहीं करेंगे जिससे मोदी को ठेस लगे या धोखा दो वरना वो तो बहुत दूर ले जा कर फेंकेंगे --हां ये बात जरूर है कि हो सकता है संगत का असर अच्छा ही हो जाये -

कांग्रेस आज तक सिंधिया को मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन आज उनके कोंग्रेस छोड़ते ही महाराज को "जयचंद और मीरजाफर" कह दिया और पार्टी से निष्काषित कर दिया --भाई कल ही बता देते निकाल दिया है -

सिंधिया तो कांग्रेस के लिए उनके कहे अनुसार, जयचंद बना है मगर कांग्रेस तो पूरी पार्टी ही देश के लिए "जयचंद" बन गई पाकिस्तान के कदमों में गिर कर कांग्रेस में जो हो रहा है, वो ही जाने, सोनिया चाहती हैं कि लोग उनके कहने में ही चलें तो कोई गलत बात भी नहीं है, कोई पार्टी अध्यक्ष कैसे बगावत बर्दाश्त सकता है अपने सामने और वो भी सोनिया गाँधी जैसी हस्ती. अब पार्टी डूबती है तो कोई क्या कर सकता है.

(लेखक सुभाष चन्द्र)

"मैं वंशज श्री राम का"

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