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सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया संपत्ति विवाद में नया मोड़, वसुंधरा ,यशोधरा और उषा राजे बोलीं
शिव कुमार मिश्र
31 Oct 2017 8:17 AM GMT
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सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा संपत्ति विवाद को लेकर दायर उस सिविल दावे में तीनों बुआओं की ओर से एक आवेदन जिला सत्र न्यायालय में पेश किया गया है. आवेदन में तर्क दिया गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब मंत्री नहीं रहे हैं. इसलिए व्यस्तता कम हो गई है. उनकी गवाही कोर्ट में कराई जा सकती है. इसलिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है. अब इस मामले में 9 नवंबर को सुनवाई होनी है.
वर्ष 1990 से सिंधिया परिवार संपत्ति बंटवारे को लेकर एक सिविल दावा चल रहा है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया की संपत्ति पर उनकी पुत्री यशोधरा राजे, वसुंधरा राजे, ऊषा राजे का नाम आ गया है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया एकमय अधिपत्य चाहते हैं. संपत्ति विवाद में गवाही होनी है.
ज्योतिरादित्य केन्द्र में मंत्री थे, उनकी व्यस्तता अधिक थी. जिसको लेकर कोर्ट ने गवाही के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति किया था, लेकिन कोर्ट कमिश्नर केएल मंगल की मृत्यु हो चुकी है. नया कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करना है, जिसको लेकर वादी व प्रतिवादी को नाम देना था. प्रतिवादी की ओर से आवेदन पेश कर ज्योतिरादित्य की गवाही कोर्ट में कराने की मांग की है.
समझौते के लिए ज्योतिरादित्य का आया है आवेदन
25 सितंबर 2017 को कोर्ट ने वादी व प्रतिवादी को यह कहते हुए समझौते के लिए मौका दिया था कि वादी व प्रतिवादी समझदार हैं और चाहें तो समझौता कर अपने विवाद को खुद सुलझा सकते हैं और जनता के सामने एक उदाहरण पेश कर सकते हैं. आपसी समझौते से जो भी निष्कर्ष निकले उसे कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें.
कोर्ट के आदेश पर ज्योतिरादित्य ने आवेदन पेश कर कहा था कि आपसी सहमति से समझौते के लिए वे तैयार हैं. पूर्व में भी आपसी समझौते का प्रयास किया गया था. इसे मीडिएशन में भी लेकर गए और उनकी ओर से मीडिएशन के लिए कोर्ट फीस भी जमा की गई. इसका कोई परिणाम नहीं निकला.
राजमाता की मौत के बाद संपत्ति पर आ गए उनके वारिसानों के नाम
वर्ष 1976 में राजमाता व माधवराव सिंधिया के बीच संपत्ति का बंटवारा हो गया था, लेकिन दोनों के निधन के बाद संपत्ति में यशोधरा राजे, वसुंधरा राजे, ऊषा राजे का नाम रिकॉर्ड में आया है. इन तीनों के नाम संपत्ति में न आएं, इसको लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक सिविल दावा जिला कोर्ट में लगाया है. इस दावे में मांग की है कि सिंधिया राजवंश की संपत्ति का उन्हें एकमय स्वामित्व दिया जाए.
सिविल दावे में तर्क दिया कि ज्योतिरादित्य राजा के पुत्र हैं. उनके परिवार में राजा की गद्दी का कानून चलता है. राजा की गद्दी उसके बेटे को मिलती है. गद्दी मिलने पर संपत्ति पर पूर्ण अधिकार राजा का होता है. ज्योतिरादित्य अकेले वारिस हैं. इसलिए संपत्ति पर उनका एकाधिकार है. उनकी संपत्ति पर किसी दूसरे का नाम दर्ज न किया जाए.
ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनकी बुआ यशोधरा राजे, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व ऊषा राजे के बीच संपत्ति विवाद चल रहा है. तीनों बुआओं को उन्होंने प्रतिवादी बनाया है.
शिव कुमार मिश्र
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