इंदौर

LS स्पीकर सुमित्रा महाजन 'ताई' बोलीं- अब मुझे कौन पूछता है, आज हूं कल ना रहूं

Shiv Kumar Mishra
2 Jan 2021 2:34 PM GMT
LS स्पीकर सुमित्रा महाजन ताई बोलीं- अब मुझे कौन पूछता है, आज हूं कल ना रहूं
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ताई ने शनिवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रंगकर्मियों के बनाए जा रहे कला वीथिका और गांधी हॉल का दौरा किया. जब उनसे नगरीय निगम चुनाव में अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगने पर सवाल हुआ तो वहे अपने मन की पीड़ा जाहिर करते हुए बोलीं, ’’अब मैं कौन हूं, मुझे कोई पूछता नहीं है. आज हूं, कल रहूंगी या नहीं पता नहीं.’’

इंदौरः लोकसभा की पूर्व स्पीकर और इंदौर की सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को रह रह कर अपने राजनीतिक रूप से असक्रिय होने की बात सालती रहती है. इंदौर में उन्हें ताई के नाम से जाना जाता है. एक बार फिर सुमित्रा ताई के मन की पीड़ा बाहर आई है.

अब मैं कौन हूं, मुझे कोई नहीं पूछता, आज हूं कल नहीं रहूंगीः ताई

ताई ने शनिवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रंगकर्मियों के बनाए जा रहे कला वीथिका और गांधी हॉल का दौरा किया. जब उनसे नगरीय निगम चुनाव में अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगने पर सवाल हुआ तो वह अपने मन की पीड़ा जाहिर करते हुए बोलीं, ''अब मैं कौन हूं, मुझे कोई पूछता नहीं है. आज हूं, कल रहूंगी या नहीं पता नहीं.''

शिवराज कैबिनेट में इंदौर से ज्यादा मंत्रियों को शामिल करने की मांग

उन्होंने शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में इंदौर को उचित प्रतिनिधित्व देने की भी मांग की है. ताई ने कहा कि इंदौर को ज्यादा मंत्री मिलते हैं, तो अच्छी बात है, नहीं मिलते हैं तो रोष जाहिर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि महापौर का प्रत्याशी विजन वाला होना चाहिए.

सुमित्रा महाजन पहले भी कई बार कर चुकी हैं इस तरह की बातें

दरअसल, सुमित्रा महाजन कई बार इस तरह की बात कह चुकी हैं. क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष पद से हटने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गई हैं. भाजपा ने उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी नहीं सौंपी है. विपक्षी सुमित्रा ताई के इस बयान को आगामी नगरीय निकाय चुनाव के साथ भी जोड़कर देखने लगे हैं.

लगातार आठ बार रही हैं इंदौर सीट से लोकसभा की सदस्य

सुमित्रा महाजन इंदौर सीट से लगातार आठ बार की सांसद रह चुकी हैं. लेकिन उन्हें कभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला. नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में जरूर सुमित्रा ताई के राजनीतिक अनुभव और वरिष्ठता को सम्मान देते हुए उन्हें 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि, 17वीं लोकसभा में उन्हें इंदौर से टिकट नहीं दिया गया. इस तरह सुमित्रा ताई के 4 दशक के राजनीतिक करियर को एक तरह से विराम लग गया.

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