मध्यप्रदेश

रेप की शिकायत करने पहुंची दलित नाबालिग पीड़िता को पूरी रात थाने में रखा, बेल्ट और लात से की पिटाई, थानेदार, 2 दरोगा निलंबित

Arun Mishra
9 Sep 2022 7:51 AM GMT
रेप की शिकायत करने पहुंची दलित नाबालिग पीड़िता को पूरी रात थाने में रखा, बेल्ट और लात से की पिटाई, थानेदार, 2 दरोगा निलंबित
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इस कथित घटना के सिलसिले में बुधवार को तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया.

(मध्य प्रदेश) : छतरपुर शहर में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराने गई 13 वर्षीय दलित लड़की को कथित तौर पर पूरी रात पुलिस थाने में बैठा कर रखने और उसके साथ मारपीट करने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 30 अगस्त हो हुई इस कथित घटना के सिलसिले में बुधवार को तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया.

पुलिस ने बताया कि बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में बाबू खान को तीन सितंबर को भारतीय दंड संहिता, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.

छतरपुर जिले के पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने बताया कि शहर कोतवाली थाना प्रभारी (एसएचओ) अनूप यादव, उप निरीक्षक मोहिनी शर्मा और सहायक उप निरीक्षक गुरुदत्त शेषा को बलात्कार पीड़िता को थाने में रखने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.

संयुक्त कलेक्टर प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) से बलात्कार की शिकायत प्राप्त हुई थी जिसके बाद मामला दर्ज किया गया.

पीड़िता की मां के अनुसार, बच्ची 27 अगस्त को घर से बाहर खेलने गई थी लेकिन नहीं लौटी. अगले दिन कोतवाली थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई. 30 अगस्त को घर लौटने पर उसने बताया कि बाबू खान उसे जबरन अपने घर ले गया, जहां उसे बंद करके रखा और उसके साथ बलात्कार किया.

बच्ची की मां का आरोप है कि 'हम शिकायत दर्ज कराने थाने गए थे. दो पुलिसकर्मियों ने मेरी बेटी पर बयान बदलने का दबाव बनाया. उन्होंने मेरी बेटी को पीटा. एक अन्य पुलिस अधिकारी मुझे बाहर ले गया और अंदर मेरी बेटी को लात और बेल्ट से पीटा गया.' बच्ची को कथित तौर पर पूरी रात थाने में रखा गया जबकि उसके माता-पिता बाहर इंतजार कर रहे थे.

लड़की की मां ने आरोप लगाया कि 31 अगस्त को भी जब वे वापस थाने गए और इंस्पेक्टर यादव से मामला दर्ज करने को कहा तो उन्हें बाहर कर दिया गया.

उसने कहा कि आखिरकार एक सितंबर की शाम को पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया लेकिन अपहरण के आरोप को शामिल नहीं किया. पहली रिपोर्ट में लड़की की आयु 17 साल लिखी गई और इसमें अपहरण का जिक्र नहीं किया.

सीडब्ल्यूसी सदस्य अफसर जहान ने कहा कि पुलिस अपराधी को बचाने और पीड़िता पर बयान बदलने का दबाव डाल रही है. समिति के एक अन्य सदस्य सौरभ भटनागर ने कहा कि लड़की की आयु 13 के बजाय 17 वर्ष लिखे जाने पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है.

भटनागर ने कहा कि जब समिति के एक दल ने लड़की के घर का दौरा किया तो इंस्पेक्टर यादव आरोपी के साथ था जो हथकड़ी में था. भटनागर ने कहा कि कानून के अनुसार बलात्कार के आरोपी को पीड़िता की उपस्थिति में नहीं लाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कानून पुरुष अधिकारियों को एक महिला बलात्कार पीड़िता का बयान दर्ज करने से भी रोकता है.

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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