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सीएम उद्धव की बढ़ी मुश्किल, कांग्रेसी नेता ने कर दी बड़ी मांग
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर मांग की है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ बीते 5 वर्षों में दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं. कांग्रेसी नेताओं का दावा है कि कार्यकर्ताओं पर ज्यादातर केस राजनीतिक आधार पर दर्ज किए गए हैं, जिनका कोई आधार नहीं है।
कांग्रेस ने मांग की है कि 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में दलितों के खिलाफ दर्ज सारे केस वापस लिए जाएं. साथ ही कांग्रेसी नेताओं की मांग है कि पीएमसी मामले में सीएम उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करें. कांग्रेस का दावा है कि केंद्र सरकार खाताधारकों की मदद नहीं कर रही है. बैठक के बाद कांग्रेस की ओर से दावा किया गया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले पर काम करने का दावा किया है।
बतादें कि भीम कोरेगांव महाराष्ट्र के पुणे जिले में है. इस छोटे से गांव से मराठा का इतिहास इतिहास जुड़ा है. 200 साल पहले यानी 1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था. पेशवा सेना का नेतुत्व बाजीराव II कर रहे थे. बाद में इस लड़ाई को दलितों के इतिहास में एक खास जगह मिल गई. बीआर अम्बेडकर को फॉलो करने वाले दलति इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम साम्राज्यवाद की लड़ाई नहीं कहते हैं. दलित इस लड़ाई में अपनी जीत मानते हैं. उनके मुताबिक इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी.
हर साल जब 1 जनवरी को दुनिया भर में नए साल का जश्न मनाया जाता है उस वक्त दलित समुदाय के लोग भीमा कोरेगांव में जमा होते है. वो यहां 'विजय स्तम्भ' के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं. ये विजय स्तम्भ ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था. इस स्तम्भ पर 1818 के युद्ध में शामिल होने वाले महार योद्दाओं के नाम अंकित हैं. वो योद्धा जिन्हें पेशवा के खिलाफ जीत मिली थी।
हालांकि साल 2018 इस युद्ध का 200वां साल था. ऐसे में इस बार यहां भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जमा हुए थे. जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए थे. इस बार यहां दलित और बहुजन समुदाय के लोगों ने एल्गार परिषद के नाम से शनिवार वाड़ा में कई जनसभाएं की. शनिवार वाड़ा 1818 तक पेशवा की सीट रही है. जनसभा में मुद्दे हिन्दुत्व राजनीति के खिलाफ थे. इस मौके पर कई बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाषण भी दिए थे और इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी।