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महाराष्ट्र में NPR पर मचा घमासान, कांग्रेस ने सीएम उद्धव ठाकरे याद दिलायी वो पुरानी बात
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन साझीदार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की गठबंधन की सरकार है तो वहा के सीएम शिवसेना से उद्धव ठाकरे बने लेकिन सरकार गठन से पहले ही मंत्रालय को लेकर रार मचा रहा फिर भी मंत्रालय का बटवार तो हो गया। वही अब वहां पर NPR को लेकर ठन गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य में नेशनल पॉप्यूलर रजिस्टर (NPR) प्रक्रिया लागू करने में लगे है। तो इससे शिवसेना की महाराष्ट्र में गठबंधन सगहयोगियों एनसीपी व कांग्रेस के साथ तकरार की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस आलाकमान ने ठाकरे के एनपीआर लागू करने को लेकर जताई गई सहमति पर बुधवार को नाराजगी जताई है. साथ ही उन्हें याद दिलाया कि वह महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
शिवसेना ने कहा- सोच-समझकर लिया फैसला, वापस नहीं लेंगे
कांग्रेस महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हमारा स्टैंड साफ है. हम एनपीआर लागू नहीं करेंगे. उद्धव ठाकरे ने जो भी कहा है, वो उनका व्यक्तिगत मत है.' उन्होंने कहा, 'हम ठाकरे को बता दें कि कोई भी फैसला तीनों गठबंधन दलों को एकसाथ लेना चाहिए. उन्हें राज्य में एनपीआर को लागू करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.' वहीं, शिवसेना सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एनपीआर पर बहुत सोच-समकर फैसला लिया है. इसे वापस नहीं लिया जाएगा.
ठाकरे ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में एनपीआर के लिए डाटा कलेक्शन में कोई रुकावट नहीं डालेगी. उन्होंने कहा कि एनपीआर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस से अलग है. एनपीआर जनगणना का हिस्सा है. एनपीआर को हर 10 साल में अपडेट किया जाता है. साथ ही कहा कि उनकी सरकार राज्य में एनसीआर को समर्थन नहीं करेगी. जब उनसे नागरकिता संशोधन कानून 2019 (CAA 2019) पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इससे किसी भारतीय पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
खड़गे ने कहा कि एनपीआर और जनगणना दोनों अलग हैं. केंद्र सरकार ने एनपीआर में माता-पिता के जन्मस्थान और जन्मतिथि जैसे कई सवाल जोड़ दिए हैं. अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (BC) के अशिक्षित लोग अपने माता-पिता के जन्म स्थान व जन्मतिथि के बारे में नहीं बता पाएंगे. ऐसे में वे ऐसे लोगों के नाम के आगे 'संदिग्ध' (Questionable) लिख देंगे. फिर जब वे एनआरसी लागू करेंगे तो कहेंगे कि इस व्यक्ति की नागरिकता संदिग्ध है. इसके बाद उसकी जांच की जाएगी. जांच पूरी होने तक उसे भारतीय नागरिक होने का कोई फायदा नहीं मिलेगा. उसे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया जाएगा. इसके बाद उसे एक प्रमाणपत्र के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा।