पुणे

90 साल पुरानी दवा कोरोना के इलाज में होगी कारगर? क्लीनिकल टेस्ट की मिली इजाजत

Arun Mishra
7 May 2020 2:57 AM GMT
90 साल पुरानी दवा कोरोना के इलाज में होगी कारगर? क्लीनिकल टेस्ट की मिली इजाजत
x
पुणे के एक इंस्टिट्यूट मे इसका क्लीनिकल ट्रायल मरिजों पर किया जाएगा.

कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत में भी इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इस बीच मुंबई से एक अच्छी खबर आई है. यहां एक 90 साल पुरानी दवा के क्लीनिकल टेस्ट की इजाजत दी गई है.

महाराष्ट्र में 90 साल पुरानी एक दवा पर रिसर्च की जा रही है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके नतीजे अभी तक अच्छे बताए जा रहे हैं. अब इस दवा के क्लीनिकल टेस्ट करने की इजाजत मिल गई है. पुणे के एक इंस्टिट्यूट मे इसका क्लीनिकल ट्रायल मरिजों पर किया जाएगा.

मुंबई के परेल स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट में इस दवाई पर रिसर्च की जा रही है. ये वैक्सीन BCG यानी Bacillus Calmette-Guerin है. इस वैक्सीन को बनाने में 1908 से 1921 के बीच 13 साल का वक्त लगा था. फ्रैंच बैक्टीरियालॉजिस्ट अल्बर्ट काल्मेट और कैमिल गुरीन ने मिलकर इसे बनाया था. अब तक बीसीजी का इस्तेमाल टीबी के मरीजों के लिए किया जाता है. लेकिन नतीजे बेहतर रहे तो कोविड-19 के खिलाफ भी ये वैक्सीन बड़ा हथियार बन सकती है.

हाफकिन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता लगातार इस पर काम कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो अब तक की प्राथमिक रिसर्च में जो टेस्ट किए गए हैं, वो काफी सकारात्मक थे. शुरुआती रिसर्च में ये बात भी सामने आई कि बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल जो लोग करते आए हैं, कोरोना से लड़ने में उनके शरीर की इम्यूनिटी ज्यादा बेहतर है.

इस आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि बीमारी के चलते ही जिन लोगों ने भी इस वैक्सीन का सेवन किया है, वो कोरोना को हराने में ज्यादा मजबूत हैं. इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर ये वैक्सीन लोगों की दी जाए तो न सिर्फ कोरोना के लक्षण घटने की उम्मीद है बल्कि उसका असर भी कम हो सकता है. अगर किसी को कोरोना के गंभीर लक्षण हैं, तो इस वैक्सीन से उसमें गिरावट भी आ सकती है और मरीज की हालत बेहतर हो सकती है.

नतीजे सकारात्मक

मेडिकल एजुकेशन और ड्रग्स विभाग के डॉ. संजय मुखर्जी ने आजतक को बताया कि हाफकिन इंस्टीट्यूट ने शुरुआती स्टडी की है और इसके नतीजे सकारात्मक आए हैं. इसके आधार पर ऐसे इंस्टीट्यूट्स को चिन्हित कर लिया गया है जहां इस वैक्सीन पर आगे की रिसर्च हो सके.

इस बारे में आईसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया को भी महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पत्र लिखा गया. महाराष्ट्र सरकार के चीफ सेक्रेटरी अजय मेहता ने बीसीजी वैक्सीन पर आगे बढ़ने के लिए परमिशन मांगी. आखिरकार इसका क्लीनिकल टेस्ट में इस्तेमाल करने के लिए इजाजत मिल गई है. अब क्लीनिकल टेस्ट्स के नतीजे आईसीएमआर से शेयर किए जाएंगे.

Next Story