महाराष्ट्र

नशे के धंधे की एंकरिंग और क्रोनोलॉजी समझिए

Shiv Kumar Mishra
2 Oct 2020 5:49 AM GMT
नशे के धंधे की एंकरिंग और क्रोनोलॉजी समझिए
x
ऐसी कोई खबर तो नहीं ही है, लक्षण भी नहीं है। पहले क्रोनोलॉजी समझिए :

संजय कुमार सिंह

फिल्म उद्योग में नशे के खिलाफ टेलीविजन चैनलों पर जोरदार प्रचार चला। टीआरपी बटोरी गई पर हुआ क्या? रिया चक्रवर्ती और उसके भाई की गिरफ्तारी के अलावा ना कोई बड़ा धंधेबाज पकड़ा गया ना कोई इस कार्रवाई से डरा। पूरा धंधा लगभग बेरोक-टोक जारी है। यह कोई नई बात नहीं है। नई बात यह है कि व्हाट्सऐप्प चैट या नौकरों के मौखिक आरोप पर ग्लैमर की दुनिया के लोगों से पूछताछ और टेलीविजन चैनलों की टीआरपी बटोरू रिपोर्टिंग के अलावा धंधे को रोकने के लिए शायद कुछ ठोस नहीं किया गया है। ऐसी कोई खबर तो नहीं ही है, लक्षण भी नहीं है। पहले क्रोनोलॉजी समझिए :

- मुंबई पुलिस को सुशांत सिंह राजपूत की मौत में कुछ गड़बड़ नहीं मिला।

- सीबीआई को लगाया गया। फिर भी कुछ नहीं मिला।

- 15 करोड़ के घपले का मामला रेत के महल की तरह भरभरा गया।

- औकात पूछने वाले पुलिस अधिकारी अपनी औकात नापने में लगे

- ईडी भी बुरी तरह नाकाम रहा

- प्यारे अधिकारी वाले नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को लगाना पड़ा।

- अफवाहों आरोपों के अलावा कुछ नहीं मिला।

- करण जौहर को फंसाने की कोशिश का आरोप ईनाम में मिला।

चहेते चैनलों के लिए चलाए गए फरमाइशी सरकारी कार्यक्रम के तहत हिरोइनों से पूछताछ हुई, टेलीविजन पर खबरें चलीं, टीआरपी मिली पर जो खबरें नहीं दिखाई और बताई गई वह यह कि नशे का धंधा देश भर में खुलेआम पूरे साल चलता है। वर्षों से चल रहा है। युवाओं को नशे से बचाने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को सख्ती से काम करना चाहिए पर सरकार अपने प्रिय अधिकारी से प्रचार और हिसाब बराबर करने का काम करवाती है। जब मुंबई में नशे के खिलाफ भयंकर कार्रवाई का हंगामा था तभी भी नशे का धंधा सामान्य तौर पर जारी था। इंटरनेट पर उपलब्ध खबरों में से कुछ इस प्रकार हैं। इनसे साफ है कि सरकार और एनसीबी की कोशिश धंधे पर रोक लगाने से ज्यादा चैनलों के टीआरपी की है। जब इन गिरफ्तारियों और बरामदगी से सुराग नहीं मिला, बिक्री और सप्लाई नहीं रुकी तो करण जौहर पर आरोप लगने या गिरफ्तार होने या उनके पास माल बरामद होने से क्या मिलना था?

अब इन खबरों को देखिए और अपने चैनलों अखबारों से पूछिए कि इसमें क्या पूछताछ हुई और क्या मिला? आखिरी खबर पिछले साल सितंबर की है और बाकी की चार खबरें उन दिनों की जब टेलीविजन चैनल फिल्मी दुनिया में नशे के खिलाफ अभियान चलाए हुए थे। सबसे ज्यादा मामले कर्नाटक के हैं जहां भाजपा ने विधायक खरीद कर सरकार बनाई है।

1. 17 सितंबर 2020 को आगरा कैंट स्टेशन पर तेलंगाना एक्सप्रेस से 28 किलो गांजा लेकर आए तीन युवकों को पकड़ा गया था। इस गांजे को दिल्ली में सराय काले खां पर किसी राहुल के साथी को देना था। बरामद गांजे की कीमत तीन लाख रुपए आंकी गई थी। इसके पहले भी अगस्त में राहुल का नाम सामने आया था। उसका मोबाइल नंबर है। दिल्ली पुलिस की मदद से उसकी 'तलाश' की जा रही है।

2. बेंगलुरु पुलिस ने 10 सितंबर 2020 को कलबुर्गी जिले में 1,350 किलो गांजा जब्त किया था। इस मामले में शेषाद्रिपुरम में एक ऑटो चालक ज्ञानशेखर (37) को पकड़ा गया था। इसके बाद किसान सिध्दूनाथ लावटे (22) को विजयपुरा जिले से गिरफ्तार किया गया। वह बेंगलूरु व मुम्बई में गांजा की आपूर्ति करता था। पुलिस ने कलबुर्गी जिले में कारर्वाई करते हुए 150 किलो गांजा जब्त किया था।

3. बेंगलुरु पुलिस ने 27 अगस्त 2020 को गांजा की अब तक की सबसे बड़ी खेप पकड़ी थी। इसे विशाखापट्टनम से लाया गया था। कीमत एक करोड़ रुपए के करीब आंकी गई थी।

4. इससे पहले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने बेंगलुरु और मुंबई में तस्करी के नेटवर्क्स का भंडाफोड़ किया था। 21 अगस्त को एनसीबी की बेंगलुरु यूनिट ने नशीली दवाइयों की बड़ी खेप जब्त की थी । इसकी कीमत दो लाख रुपए के करीब बताई गई थी। छापेमारी के दौरान एनसीबी ने एम. अनूप, आर. रविन्द्रन और अनिखा डी को पकड़ा था। ये सभी संगीतकारों, अभिनेताओं, कॉलेज छात्रों सहित समाज के संपन्न वर्गों को ड्रग्स की सप्लाई करते हैं। इस खबर में कहा गया था कि बड़े बड़े सितारे, नेता नारकोटिक्स विभाग के रडार पर हैं। अभी तक जो हुआ और नहीं हुआ सो आ जानते हैं। (abplive.com) आप जानते हैं कि कर्नाटक में विधायक खरीद कर भाजपा की सरकार बनाई गई है।

5. बेंगलुरू राजधानी से 62 किलो गांजा लेकर ग्वालियर उतरे एक युवक व एक महिला को आरपीएफ ने पकड़ा था। (17 सितंबर 2019 की खबर patrika.com)

इससे पहले भी मैं लिख चुका हूं कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने कई मामले पकड़े पर कार्रवाई क्या हुई पता नहीं चला। एक मामले में तो वर्षों बाद मामला निपटाने के लिए एक आदमी रिश्वत लेता पकड़ा गया था और एक मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार अधिकारी का नाम नहीं लिखा था। आम लोगों और फिल्मी दुनिया के लोगों के मामले में लीक पर एक्सक्लूसिव चलाने वाले ठोस कार्रवाई के बारे में ना अफसरों से पूछते हैं ना वो बताते हैं।

Next Story