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155 साल पुराने कानून बदलने का समय आ गया है - राष्ट्रपति

कोच्चि
देश में राष्ट्रद्रोह जैसे कानून पर चल रही बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कोच्चि में कहा कि भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में 21 वीं सदी के अनुसार संशोधन की जरूरत है और 'प्राचीन' पुलिस प्रणाली में भी बदलाव आवश्यक है। उन्होंने भारतीय दण्ड संहिता की 155 वीं वर्षगांठ के मौके पर कहा कि 'बीते 155 सालों में आईपीसी में काफी कम बदलाव किए गए हैं।
There are many new offences which have to be properly defined & incorporated in the IPC- President Pranab Mukherjee pic.twitter.com/YkR0ZqRA7x
— ANI (@ANI_news) February 26, 2016
अपराधों की प्रारंभिक सूची में कुछ ही अपराध जोड़े गए हैं और उनसे संबंधित सजा का प्रावधान बताया गया है'। राष्ट्रपति ने कहा कि आईपीसी में अब भी ऐसे कानून मौजूद हैं जो ब्रिटिश शासन ने अपनी आवश्यकता को पूरी करने के लिए लागू किए थे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कई नए अपराधों की सही से व्याख्या करने और उन्हें जोड़े जाने की जरूरत है।
President Pranab Mukherjee at the valedictory function of 155th anniversary of IPC in Kochi (Kerala) pic.twitter.com/W3BhutMEK4
— ANI (@ANI_news) February 26, 2016
आपराधिक अपराधों के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा कि 'ये संहिता ऐसे अपराधों के लिए आदर्श थी, लेकिन आज अनुसार इसकी समीक्षा की आवश्यकता है। आर्थिक अपराधों से पैदा होने वाली समस्याओं पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसकी वजह समावेशी विकास और राष्ट्रीय प्रगति बाधित हुई है। राष्ट्रपति के अनुसार पुलिस की छवि उसकी कार्रवाई पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि पुलिस को केवल कानून लागू करने वाली भूमिका से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'पुलिस अधिकारियों को आम आदमी की शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही साथ उन्हें प्रगति और विकास के लिए शांति पूर्ण और सुरक्षित माहौल बनाने में मददगार बनना चाहिए।
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