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अवार्ड लौटाने वालों को राष्ट्रपति की नसीहत, कहा- पुरस्कारों की कद्र करें

नई दिल्ली : देश में बढ़ती असहिष्णुता को मुद्दा बनाकर चल रहे पुरस्कार वापसी अभियान की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का एक महत्वपूर्ण बयान आया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्रतिभा और कड़ी मेहनत को सार्वजनिक पहचान दिलाते हैं, इसलिए पुरस्कार प्राप्त करने वालों को इनकी कद्र करनी चाहिए, इन्हें संजोकर रखना चाहिए।
संवेदनशील लोग समाज में होने वाली कुछ घटनाओं से व्यथित हो जाते हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं पर चिंताओं की अभिव्यक्ति संतुलित होनी चाहिए। हमें भावनाओं में नहीं बहना चाहिए और हमारी असहमति बहस व विमर्श के जरिए व्यक्त होनी चाहिए। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि जब भी जरूरत महसूस हुई, भारत खुद को सुधारने में सक्षम रहा है।
राष्ट्रीय प्रेस परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के तौर पर कार्टून और रेखाचित्रों के महत्व व प्रभाव विषय पर बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश पर गर्व करने वाले भारतीय के तौर पर हमारा भारत के विचार और संविधान के मूल्यों व सिद्धांतों में भरोसा होना ही चाहिए।
हालांकि, अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने किसी खास घटना का जिक्र नहीं किया है लेकिन उनकी बातों को साहित्यकारों एवं विभिन्न कलाकरों की पुरस्कार वापसी मुहिम और देश में असहिष्णुता के माहौल पर उठते सवालों के संदर्भ में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान विभिन्न साहित्यकारों और कलाकारों ने देश में असहिष्णुता बढ़ने का आरोप लगाते हुए अपने पुरस्कार और सम्मान लौटाए हैं।
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