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भारत आए गूगल CEO सुंदर पिचाई से छात्रों के सवाल-जवाब

नई दिल्ली : गूगल के सीईओ बनने बाद पहली बार अमेरिका से बाहर की यात्रा पर निकले सुंदर पिचाई भारत में आए हुए हैं। दरअसल पिचाई दो दिनों के भारत दौरे पर हैं। गूगल इंडिया के एक कार्यक्रम में उन्होंने महत्वपूर्ण घोषणाऐं करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम काॅलेज आॅफ काॅमर्स में विद्यार्थियों से रूबरू हुए।
सुंदर पिचाई ने कहा कि अगर वह गूगल के सीईओ नहीं होते तो अभी भी सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट्स बना रहे होते। सुंदर ने कहा कि गूगल पहुंचने के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा टाॅफी की दुकान पर पहुंचने के बाद महसूस करता है। जब भी मैं वहां जाता तो लोग अलग ही चीजों पर कार्य कर रहे होते थे।
पिचाई ने बातचीत के दौरान बताया कि अगले 30 साल में गूगल को वह कहां देखते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ऐसे प्रॉडक्ट्स पर काम कर रही है, जो पूरी मानवता की समस्याओं को हल कर सकें। उन्होंने कहा कि तकनीक की मदद से मानवता की सहायता करने की वजह से ही वह गूगल की तरफ आकर्षित हुए।
जब पिचाई से पूछा गया कि कभी ऐंड्रॉयड के किसी वर्शन का नाम भारतीय मिठाई के नाम पर क्यों नहीं रखा गया (ऐंड्रॉयड के सभी वर्शन किसी न किसी डिज़र्ट पर आधारित हैं), पिचाई ने कहा कि अगले मोबाइल OS का नाम रखने से पहले मैं ऑनलाइन पोल करवाऊंगा कि क्या नाम रखा जाए।
होस्ट हर्षा भोगले ने पूछा कि इस बदलते वक्त में प्रासंगिक बने रहने के लिए गूगल की क्या योजना है। इस पर पिचाई ने कहा, 'टेक्नॉलजी की दुनिया में सब कुछ बेहद तेजी से बदलता है। इसलिए प्रासंगिक बने रहने के लिए परिवर्तन करके नयापन लाना बेहद जरूरी है।'
इस दौरान गोविंदाचार्य ने सुंदर पिचाई से सवाल किए। उन्होंने कहा कि तकनीक की दुनिया में सभी चीजें तेजी से बदल रही हैं। 80 के दशक में कंप्युटर्स की शुरूआत हुई थी। फिर 10 वर्ष बाद इंटरनेट आया। 10 वर्ष बाद ही स्मार्टफोन बाजार में आया। आईआईटी खड़गपुर में इंटरनेट नहीं था। उन्होंने कहा कि यह युवाओं का देश है। इन मसलों पर ट्रेंड्स की बात की जाए तो वे भारत पहुंचेंगे। खेलों को लेकर उन्होंने कहा कि वे साॅसर के प्रशंसक हैं। खेलों में वे साॅसर और क्रिकेट को लेते हैं। 1986 की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इंडिया-आॅस्ट्रेलिया मैच में वे स्टेडियम में ही थे यह मैच मैंने देखा था।
एक स्टूडेंट के सवाल का जवाब देते हुए पिचाई ने बताया कि 1994-95 में उन्होंने सबसे पहला फोन खरीदा था, जो मोटोरोला स्टार्क था। उन्होंने पहली बार 2006 में स्मार्टफोन खरीदा था। पिचाई ने ये भी बताया कि उनके घर में फिलहाल 20-25 स्मार्टफोन हैं।
गूगल के सीईओ ने बताया कि जब वो छोटे थे, तब उन्हें कई फोन नंबर याद थे। पिचाई ने मजाकिया अंदाज में कहा, 'लेकिन ऐसा इसलिए था क्योंकि उस वक्त नंबर सिर्फ 6 डिजिट के हुआ करते थे। अमेरिका में 10 डिजिट के नंबर होते हैं और मैं उन्हें स्मार्टफोन में स्टोर कर लेता हूं।'
पिचाई ने कहा कि नाकामयाब होने पर शर्म नहीं आनी चाहिए, बल्कि इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिलिकन वैली में नाकामयाब होने वालीं स्टार्टअप्स को सम्मान की नजर से देखा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि फाउंडर्स ने इस तरह से कुछ तो नया सीखा।
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