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पीएम मोदी का 'मेक इन इंडिया' आइडिया हिट, दुनिया में घटी भारत में बढ़ी FDI ?

Special News Coverage
29 Dec 2015 3:25 PM GMT
PM Modi

नई दिल्लीः विगत 17 महीने में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 35 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। जबकि इसी दौरान दुनिया भर में इसमें 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में सचिव अमिताभ कांत ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी।

पीएम मोदी का 'मेक इन इंडिया'रहा सुपरहिट
अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में एफडीआई प्रभाव उस समय 35 प्रतिशत बढ़ा जब दुनिया भर में उसमें 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि 'मेक इन इंडिया' पहल पिछले साल सितंबर के आखिर में शुरू की गई थी। उसके बाद से एफडीआई में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 'लेकिन अगर आप इस सरकार के पिछले 17 महीनों को देखेंगे तो एफडीआई पिछले 17 माह की तुलना में 35 प्रतिशत बढ़ी है।' उन्होंने बताया कि मैन्युफैक्चरिंग, कन्जयूमर गुड्स, लॉजिस्टिक्स और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर्स में भारी विदेशी निवेश हुआ है।

आने वाले साल 40 से 45 प्रतिशत वृृद्धि उम्मीद
साल 2015 के लिए उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 18 प्रतिशत बढ़कर 26.51 अरब डॉलर (करीब 17 खरब रुपये) हो गया। भारत में 2014 के दौरान 28.78 अरब डॉलर (करीब 19 खरब रुपये) का निवेश हुआ था जबकि 2013 में यह 22 अरब डॉलर (करीब 14 खरब रुपये) था। कांत ने कहा, 'वैश्विक नरमी के बावजूद 2016 में एफडीआई में 40-45 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। सरकार ने इस साल कई तरह की नीतिगत पहलें की हैं।' इस साल जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक एफडीआई आई उनमें सर्विसेज, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर, टेलिकॉम, ऑटोमोबील और व्यापार शामिल हैं।


'अगले साल एफडीआई बढ़ेगी'
इधर, विश्लेषकों ने कहा कि 2016 में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है लेकिन काफी कुछ 'मेक इन इंडिया' पर निर्भर करेगा। कानूनी सेवा प्रदान करने वाली कंपनी शार्दूल अमरचंद ऐंड मंगलदास के कृष्ण मल्होत्रा ने कहा, 'अगले साल एफडीआई बढ़ना चाहिए लेकिन कारोबर सुगमतान बढ़ाने की पहलों और सुधार संबंधी पहलों के लिहाज से काफी कुछ 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम पर निर्भर करेगा।' देश के लिए एफडीआई महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे 12वीं पंचवर्षीय योजनावधि में पोर्ट, एयरपोर्ट और हाइवे जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए फंडिंग के लिए करीब 1,000 अरब डॉलर (करीब 663 खरब रुपये) की जरूरत है।

'एफडीआई के लिए सुधारों की पहल'
गौरतलब है कि एफडीआई स्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित करने के लिए इस साल सरकार ने विदेशी निवेश के सभी स्वरूपों को जोड़कर मिश्रित विदेशी निवेश की सीमा तय की है ताकि सेक्टर वाइज लिमिट्स तय की जा सके। इसके अलावा जिन कंपनियों के भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं उनके लिए ई-कॉमर्स स्टैंडर्ड्स को भी उदार बनाया है। सुधार संबंधी पहलों के अंग के तौर पर सरकार ने विदेशी निवेश सीमा बढ़ाई है, कुछ नए क्षेत्रों को खोला है और कई सेक्टर के नियमों में उदारता लाई है।

98 प्रतिशत क्षेत्रों को स्वत: निवेश
सरकार ने स्थानीय निजी बैंकों में 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दी है जबकि पाम, कॉफी और रबर क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए पहली बार खोला है। रीयल एस्टेट, रक्षा, नागर विमानन और समाचार प्रसारण क्षेत्रों में भी एफडीआई मानदंडों को उदार बनाया गया है। अमिताभ कांत ने कहा कि कारोबार सुगमता सुधारने की पहलों की घोषणा से भारत को निवेशकों के लिए सबसे अधिक सुगम स्थान बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी निवेश के लिए खुले 98 प्रतिशत क्षेत्रों को स्वत: निवेश मार्ग के तहत लाने की योजना बना रही है ताकि कारोबारियों को किसी मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय या उद्योग भवन न जाना पड़े।

कारोबार सुगमता सूची में सुधार
कारोबार सुगमता के लिहाज से विश्व बैंक की रिपोर्ट में भारत की रैकिंग इस साल 189 देशों में 142 से सुधरकर 130 पर आ गई। प्रधानमंत्री ने देश की रैंकिंग शीर्ष 50 में लाने का लक्ष्य रखा है। पहली बार कारोबार सुगम बनाने के लिए राज्यों को भी रैंकिंग प्रदान की गई है। कारोबार सुगमता बढ़ाने के लिए सुधार लाने के लिहाज से भारतीय राज्यों की वर्ल्ड बैंक द्वारा तैयार रैंकिंग में गुजरात टॉप पर है।

'स्टार्टअप में भारी ऊर्जा'
स्टार्टअप के बारे में अमिताभ कांत ने कहा, 'देश में स्टार्टअप में भारी ऊर्जा, उत्साह एवं गतिशीलता है और हमें इसे डिजिटल स्टार्टअप से मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप तक और कृषि तथा सामाजिक इनोवेशन सेक्टर्स में स्टार्टअप तक आगे बढ़ाना होगा। इसके साथ ही इसे महानगरों से गैर महानगरों एवं बड़े कस्बों तक लेकर जाना होगा।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री 16 जनवरी को नई दिल्ली में स्टार्टअप इंडिया आंदोलन की शुरुआत करेंगे और हम बेंगलुरु से सभी स्टार्टअप को इसमें शामिल होने का न्योता दे रहे हैं।

'9-10 प्रतिशत की वृृद्धि की चुनौती'
अर्थव्यवस्था पर कांत ने कहा कि भारत 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और 'भारत के लिए चुनौती अगले तीन दशकों या अधिक समय के लिए 9-10 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करना है।' कांत ने कहा कि दुनिया भर की संतुलित आर्थिक परिदृश्य के बीच भारत में ग्रोथ की बहार है। उन्होंने कहा, 'भारत के सामने चुनौती लंबी अवधि तक 9 से 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की है। यह अवधि 30 या उससे ज्यादा सालों की हो सकती है।'
साभार ः NBT
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