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30 साल बाद भारत को मिलेगी बड़ी ताकत, अमेरिका देगा 145 हॉवित्जर तोपें

नई दिल्ली : भारत और अमरीका में 700 मिलियन की डिफेंस डील होनी लगभग तय है जिसके तहत अमरीका भारत को 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपें बेचेगा। पेंटागन के सूत्रों के मुताबिक इस डील को सोमवार को फाइनल होना तय हो गया है। डील 700 मिलियन डॉलर से ज्यादा की होगी। दोनों देशों की सरकारों के बीच यह डील होगी एवं फाइनल कॉन्ट्रेक्ट 180 दिन के अंदर तैयार कर लिया जाएगा। पेंटागन ने हॉवित्जर तोपों से संबंधित डील का लेटर इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री को भेज दिया है। इन तोपों की पहली खेप भारत को सीधे तौर पर भेजी जाएगी। इसके बाद की तोपें तीन साल के अंदर भारत में ही तैयार की जाएंगी।
क्यों अहम है यह डील?
अमरीका ने हाल ही में पाकिस्तान को आठ एफ-16 फाइटर जेट्स पाकिस्तान को बेचने का फैसला किया है। हालांकि अभी कांग्रेस ने इसे मंजूरी नहीं दी है। भारत इससे नाराज है। इसके बाद अमरीका ने भारत को यह हॉवित्जर तोपें देने का फैसला किया है। डील के 30 पसरेंट हिस्से को भारत में इन्वेस्ट किया जाएगा। इस डील के साथ ही अमरीका, रुस, इजराइल और फ्रांस को पीछे छोड़कर भारत को आर्म्स सप्लाइ करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। 2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच 13 बिलियन डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी हैं।
हॉवित्जर में क्या है खास?
हॉवित्जर तोपें दूसरी तोपों के मुकाबले काफी हल्की हैं। इनको बनाने में काफी हद तक टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है। यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती हैं। चीन से निपटने में तो यह तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं। भारत यह तोपें अपनी 17 माउंटेन कॉर्प्स में तैनात कर सकता है।
कुछ अहम बातें
1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई। बोफोर्स डील में हुए विवाद के बाद यह हालात बने। भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से भारत में तैयार कर रहा है। इसकी फाइनल ट्रायल चल रही है। 1260 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 114 का ट्रायल चल रहा है। जरूरत 414 तोपों की है। 500 करोड़ रुपए के सेल्फ प्रोपेल्ड गन का कॉन्ट्रेक्ट तैयार है। इसे एलएंडटी और सैमसंग टैकविन बनाएंगी। जून 2006 में हॉवित्जर का लाइट वर्जन खरीदने के लिए भारत-अमरीका की बातचीत शुरू हुई थी।
भारत इन्हें चीन बॉर्डर पर तैनात करना चाहता है। अगस्त 2013 में अमरीका ने हॉवित्जर का नया वर्जन देने की पेशकश की, जिसकी कीमत 885 मिलियन डॉलर थी। इस मामले में दो साल तक बात आगे नहीं बढ़ी। मई 2015 में भारत ने अमरीका से इन तोपों को देने की गुजारिश की और लेटर ऑफ रिक्वेस्ट अमरीका को भेजा गया फिर यह डील दोबारा शुरू हुई। गौरतलब हो कि भारत सरकार अपनी आर्मी के लिए 2027 तक मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम चला रही हैं और इस पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।
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