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जानिए- कौन हैं संतोष यादव जिन्हें RSS ने विजयादशमी उत्सव में बनाया अपना मुख्य अतिथि

Arun Mishra
5 Oct 2022 6:50 AM GMT
जानिए- कौन हैं संतोष यादव जिन्हें RSS ने विजयादशमी उत्सव में बनाया अपना मुख्य अतिथि
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संघ के विजयादशमी कार्यक्रम में पहली बार इस वर्ष महिला बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हेडक्वार्टर नागपुर में विजयादशमी उत्सव मनाया जा रहा है। संघ के विजयादशमी कार्यक्रम में पहली बार इस वर्ष महिला बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हैं। नारी शक्ति की प्रतीक पर्वतारोही संतोष यादव विजयादशमी उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हैं।

जानिए- कौन हैं संतोष यादव ?

हरियाणा के रेवाड़ी जिले में संतोष यादव का जन्म 1969 में हुआ था, पढ़ाई लिखाई जयपुर के महारानी महाविद्यालय से हुई थी। आईटीबीपी के जरिए वो देश की सेवा करती रहीं। संतोष यादव खुद बताती है कि ऊंची ऊंची चोटियों को फतह करने की लालसा उनके मन में सदैव रहती थी। नौकरी में आने के बाद उनके सपने को साकार करने का मौका मिला। 1992 में दुनिया की सबसे बड़ी चोटी सागरमाथा यानी माउंट एवरेस्ट को फतह किया और ठीक एक साल बाद 1993 में दूसरी बार कामयाबी मिली। माउंट एवरेस्ट को फतह करने की खास बात यह थी कि कांगसुंग की तरफ से चढ़ाई की थी और ऐसा करने वाली वो विश्व की पहली महिला बनीं। उनके बेहतरीन करियर के लिए 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।


सफल पर्वतारोही बनना था मकसद

संतोष यादव बताती हैं कि उनके पिता सेना में सूबेदार के पद पर थे। घर का माहौल उन्हें हमेशा कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करता था। अपने नाम के बारे में वो कहती हैं कि आम तौर पर रेवाड़ी के इलाके में लड़कियों से अधिक महत्व लड़कों को मिलता था। लेकिन उनका परिवार थोड़ा अलग था। उनकी मां को एक साधू ने बेटे का आशीर्वाद दिया । लेकिन उनकी दादी ने कहा कि बेटे की जगह बेटी चाहिए। जब जन्म हुआ तो घर वाले संतुष्ट और खुश दोनों थे और नाम मिल गया संतोष। पढ़ाई लिखाई को लेकर वो शुरू से ही जिद्दी थीं और उसकी वजह से दिल्ली के स्कूल में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला हुआ। वो अपने मां और पिता के साथ दिल्ली रहती थीं। पर्वतारोहण की लालसा तो पहले से थी। लेकिन 1989 से इसकी औपचारिक शुरुआत की।


मोहन भागवत ने क्या कहा?

मोहन भागवत ने अपनी स्पीच में एक बार फिर पॉपुलेशन, मंदिर, जातिवाद जैसे मुद्दों का जिक्र किया। कहा- बढ़ती हुई आबादी में हम धार्मिक असंतुलन को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं।

डॉ. मोहन भागवत ने कहा, 'जनसंख्या जितनी अधिक होगी बोझ उतना ही ज्यादा होगा। हमको यह देखना होगा कि हमारा देश 50 साल के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक पॉलिसी बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।

धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन ऐसा विषय है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। जन्म दर में अंतर और लालच या घुसपैठ की वजह से होने वाले धर्मांतरण भी बड़ी समस्या है।'

क्या तुम संघी हो? संतोष यादव

आरएसएस की स्थापना दिवस पर उन्होंने कहा कि लोग मेरे हाव-भाव देखकर पूछते थे कि क्या तुम संघी हो? इसका जवाब देते हुए मैं उन्हें कहती थी कि वो क्या होता है. आज किस्मत मुझे सर्वोच्च मंच पर लेकर आई है. संतोष यादव ने एक किस्सा बताते हुए कहा कि एक बार जेएनयू में वह पर्यावरण पर बोल रही थीं. तभी एक छात्रा ने उनसे कहा कि हमें रामचरितमानस या गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है. मैंने उन्हें कहा कि ऐसा तो मैंने नहीं कहा है. फिर मैंने उन्हें कहा कि आपने इन पुस्तकों को पढ़ा है? तो उन्होंने कहा कि नहीं. फिर मैंने उन्हें कहा कि बिना पढ़े आप इन पुस्तकों को लेकर द्वेष क्यों पाल रही हैं. आप इसे पढ़िए. सनातन संस्कृति सृजन की प्रेरणा देता है.

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

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