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राष्ट्रपति मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता उदित राज ने की ऐसी टिप्पणी, भड़की BJP तो फिर दी ये सफाई

Arun Mishra
6 Oct 2022 7:05 AM GMT
राष्ट्रपति मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता उदित राज ने की ऐसी टिप्पणी, भड़की BJP तो फिर दी ये सफाई
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संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस नेता उदित राज द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द चिंताजनक, दुर्भाग्यपूर्ण हैं.

कांग्रेस नेता उदित राज (Udit Raj) अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं और एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसी बात कह दी है, जिसको लेकर वह बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं. उदित राज ने देश की पहली दलित महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को लेकर विवादित बयान दिया है और कहा है कि कहा है कि ऐसी राष्ट्रपति किसी देश को ना मिले.

क्या है पूरा माला?

दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हाल ही में दो दिन के गुजरात दौरे पर गई थीं. इस दौरान उन्होंने साबरमती आश्रम पहुंचकर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि दी थी. इसके बाद उन्होंने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि गुजरात में देश का 76 प्रतिशत नमक बनाया जाता है. यह कहा जा सकता है कि सभी देशवासी गुजरात का नमक खाते हैं.

उदित राज ने क्या कहा ?

कांग्रेस नेता उदित राज ने ट्वीट कर कहा था कि द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले. चमचागिरी की भी हद्द है. कहती हैं 70% लोग गुजरात का नमक खाते हैं. खुद नमक खाकर जिंदगी जिएं तो पता लगेगा.

भड़की बीजेपी

संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस नेता उदित राज द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द चिंताजनक, दुर्भाग्यपूर्ण हैं. यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है. इससे पहले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भी ऐसा ही किया था. यह उनकी आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.

फिर दी ये सफाई

इसके बाद उदित राज ने एक और ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि मेरा बयान द्रोपदी मुर्मू जी के लिए निजी है, कांग्रेस पार्टी का नहीं है. द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और आदिवासी के नाम से वोट मांगा. राष्ट्रपति बनने से क्या वे आदिवासी नही रहीं? देश की राष्ट्रपती हैं तो आदिवासी की प्रतिनिधि भी. रोना आता है जब एससी/एसटी के नाम से पद पर जाते हैं फिर चुप हो जाते हैं.

इसके बाद उदित राज ने एक और ट्वीट किया, द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपती के तौर पर पूरा सम्मान है। वो दलित - आदिवासी की प्रतिनिधि भी हैं और इन्हे आधिकार है अपने हिस्से का सवाल करना। इसे राष्ट्रपती पद से न जोड़ा जाए।


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