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मॉनेटाइजेशन स्कीम को लेकर बीजेपी अपनों से घिरी, RSS के संगठन देशव्यापी करेंगे प्रदर्शन

मॉनेटाइजेशन स्कीम को लेकर बीजेपी अपनों से घिरी, RSS के संगठन देशव्यापी करेंगे प्रदर्शन
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बीएमएस 2 नवंबर को नेशनल मॉनेटाइजेशन प्रोग्राम के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन का भी ऐलान किया है तो वहीं, आरएसएस से जुड़े एक और संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी केंद्र सरकार के इस प्रोग्राम की आलोचना की है। स्वदेशी जागरण मंच ने सरकारी संपत्ति निजी हाथों में जाने को लेकर चेताया भी है

नई दिल्ली: नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है.वही, अब बीजेपी को मॉनेटाइजेशन के मुद्दे पर अपनों ने ही घेरा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों ने इस प्रोग्राम के अलावा, महंगाई और तालिबान के साथ नई दिल्ली की औपचारिक मुलाकात को लेकर भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने नाराजगी जाहिर की है। इतना ही नहीं बीएमएस के नेशनल एक्जीक्यूटिव ने पहले ही बढ़ती महंगाई के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था और सरकार से तुरंत इसे रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की थी।

आपको बता दे कि, देश के सबसे बड़े मजदूर संगठनों में से एक बीएमएस के महासचिव बिनय कुमार सिन्हा ने कहा, 'कोरोना के बाद स्थिति बदतर हो गई है। नौकरियों में छंटनी और वेतन कटने से सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हुए हैं और महंगाई पर भी कोई लगाम नहीं है।'

केंद्र सरकार के कदमों से असंतुष्ट और नाखुश बीएमएस ने 9 सितंबर को महंगाई के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। बीएमएस ने यह मांग की है कि सरकार को सामान के लेबल पर उत्पादन लागत दिए जाने का भी प्रावधान करना चाहिए ताकि लोगों को यह पता लगे कि कंपनियां कितना मुनाफा कमा रही है।

सिन्हा कहते हैं, 'उदाहरण के लिए फार्मा सेक्टर में कंपनियां कितना मुनाफा कमाएं, इसपर किसी का नियंत्रण नहीं है। ठीक इसी तरह, अगर सरकार एक देश, एक टैक्स की बात करती है तो फिर वह पेट्रोल को जीएसटी के अंदर क्यों नहीं लाती ताकि हर दिन इसके दाम बढ़ने-घटने से निजात मिले, जिससे आम आदमी का जीवन प्रभावित हो रहा है।' सिन्हा कहते हैं कि सरकार को आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ और विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

जहां बीएमएस 2 नवंबर को नेशनल मॉनेटाइजेशन प्रोग्राम के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन का भी ऐलान किया है तो वहीं, आरएसएस से जुड़े एक और संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी केंद्र सरकार के इस प्रोग्राम की आलोचना की है। स्वदेशी जागरण मंच ने सरकारी संपत्ति निजी हाथों में जाने को लेकर चेताया भी है।

गौरतलब है कि, बीते महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना यानी एनएमपी की घोषणा की थी। इसके तहत साल 2022 से 2025 के बीच रेल, सड़क और बिजली क्षेत्र की बुनियादी ढांचा संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाएगा। इस स्कीम के तहत 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और 160 माइनिंग प्रोजेक्ट को मॉनेटाइज किया जाएगा। वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा था कि इन सभी पर मालिकाना हक सरकार का बना रहेगा। हम कुछ भी बेच नहीं रहे हैं, एक समय बाद ये सारी संपत्तियां वापस हो जाएंगी।




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