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सुदर्शन टीवी के 'UPSC जिहाद' टीवी शो पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- यह उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम है

Arun Mishra
15 Sep 2020 12:41 PM GMT
सुदर्शन टीवी के UPSC जिहाद टीवी शो पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- यह उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम है
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कोर्ट ने यह भी कहा कि हम एक पांच सदस्य कमिटी के गठन करने के पक्ष में है, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कुछ निश्चित मानक तय कर सके।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुस्लिम समुदाय के लोगों के सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने से जुड़े कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह एक उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम एक पांच सदस्य कमिटी के गठन करने के पक्ष में है, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कुछ निश्चित मानक तय कर सके।

सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा कि मीडिया में स्व नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पर्दाफाश किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने इस कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ मीडिया हाउस के कार्यक्रमों में आयोजित होने वाली बहस चिंता का विषय है क्योंकि इसमें हर तरह की मानहानिकारक बातें कहीं जा रही हैं।

उकसाने वाला है कार्यक्रम: सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कहा, 'इस कार्यक्रम को देखिये, कैसा उन्माद पैदा करने वाला यह कार्यक्रम है कि एक समुदाय प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश कर रहा है।' पीठ ने कहा, 'देखिये इस कार्यक्रम का विषय कितना उकसाने वाला है कि मुस्लिमों ने सेवाओं में घुसपैठ कर ली है और यह तथ्यों के बगैर ही यह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को संदेह के दायरे में ले आता है।'

प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोच्च: सॉलिसीटर जनरल

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक होगा। सुदर्शन टीवी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ से कहा कि चैनल इसे राष्ट्रहित में एक खोजी खबर मानता है। इस पर पीठ ने दीवान से कहा, 'आपका मुवक्किल देश का अहित कर रहा है और यह स्वीकार नहीं कर रहा कि भारत विविधता भरी संस्कृति वाला देश है। आपके मुवक्किल को अपनी आजादी के अधिकार का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए।'

(भाषा से इनपुट के साथ)

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