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घोटालेवाज किस तरह से कोयले को खुले बाजार में बेच कर अरबो खरबो के मुनाफे का खेल खेलने को तैयार बैठे है.
लीजिए एक और घोटाला सामने आया है और वह घोटाला भी छोटा मोटा नही है पूरे 125 हज़ार करोड़ का घोटाला है, छत्तीसगढ़ को अडानी के हाथों बेच दिया गया है ढाई हजार मिलियन टन क्षमता वाले छह कोल ब्लॉक को नीलाम न करके तीन भाजपा शासित राज्यों की सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों को आवंटित कर दिया गया है
कहने को कोल ब्लॉक्स कागजों में तो सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों के हैं, लेकिन उनकी असली संपत्ति एक निजी कंपनी अडानी को माइन डेवलप एंड ऑपरेट (एमडीओ) नियुक्त करके सौंप दी गई है.इसका मतलब यह है कि प्रदेश में कुल 88 मिलियन टन प्रति वर्ष कोयला निकालने का काम या तो अडानी के पास पहुंच चुका है या फिर इसकी तैयारी अंतिम चरणों में है.
उदाहरण के लिए आप देखिए कि पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लॉक भैया थान पॉवर प्रोजेक्ट के लिए आवंटित किया गया है। यह पॉवर प्रोजेक्ट इंडिया बुल्स के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ सरकार को बनाना था लेकिन यह परियोजना शुरु ही नहीं हो सकी और इंडिया बुल्स वापस चली गई। लेकिन इस कोल ब्लॉक से कोयला निकालने की तैयारी हो रही है जब परियोजना ही नहीं है तो फिर कोयला क्यों निकाला जाएगा ? किसके लिए निकाला जाएगा ? छत्तीसगढ़ सरकार कोयला व्यापारी तो है नहीं तो फिर यह मोदीजी के इशारे पर अडानी को उपकृत करने के अलावा और क्या है ?
ओर इन्हीं आधार पर अडानी कह रहे हैं कि कि अगले दशक में उनका कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन हो जाएगा. जिन खदानों से जुड़े हुए कोल ब्लॉक में हिंडाल्को 3500 रु प्रति टन कोयला निकाल रही हैं वही अडानी को मात्र 100 रु प्रति टन में ठेका दिया गया है कहने को तो यह आरोप कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल लगा रहे है लेकिन स्वतंत्र स्त्रोतों से भी इसकी पुष्टि होती है कि किस तरह से सरकारी अधिसूचनाओ में मनमाने परिवर्तन करा कर अडानी किस तरह से कोयले को खुले बाजार में बेच कर अरबो खरबो के मुनाफे का खेल खेलने को तैयार बैठे है.
दिन रात 2 जी स्कैम ,राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, कोल ब्लॉक में भ्रष्टाचार आदि घोटाले की राग रागनियों को गा कर जो लोग सत्ता में आये थे वो ही आज नया कोयला घोटाला करने से बाज नही आ रहे है.
गिरीश मालवीय
शिव कुमार मिश्र
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