राष्ट्रीय

कोरोना वायरस: इस दवा से सिर्फ 6 दिनों में रोका जा सकता है संक्रमण, फ्रांस के शोधकर्ता ने किया दावा

Arun Mishra
22 March 2020 9:07 AM GMT
कोरोना वायरस: इस दवा से सिर्फ 6 दिनों में रोका जा सकता है संक्रमण, फ्रांस के शोधकर्ता ने किया दावा
x

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संकट छाया हुआ है। दुनिया में 170 से ज्यादा देश इन जानलेवा वायरस की चपेट में है। कोरोना से अब तक दुनिया भर में 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक फ्रेंच शोधकर्ता ने कोविड-19 के लिए एक नए उपचार के सफल परीक्षण होने की जानकारी दी है। शोधकर्ता के अनुसार, शुरुआती परीक्षणों से यह पता चलता है कि यह दवा वायरस को केवल छह दिनों में संक्रामक बनने से रोक सकता है।

connexionfrance.com के अनुसार, फ्रांस के 'हॉस्पिटल इंस्टीट्यूट हॉस्पिटालो-यूनिवर्सिटायर (आईएचयू मेडीटेरेनी)' के प्रोफेसर डिडिर राउल्ट ने एक वीडियो के माध्यम से अपने परीक्षणों की जानकारी दी। संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ राउल्ट को फ्रांस की सरकार द्वारा जानलेवा कोरोना वायरस के उपचार के लिए शोध करने का कार्य सौंपा गया था।

प्रोफेसर राउल्ट के अनुसार, उन्होंने कोरोना वायरस के जिन रोगियों का क्लोरोक्वाइन दवा के साथ इलाज किया था, उनके बीमारी से ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी से सुधार देखने को मिला। साथ ही, उनके संक्रामक होने के अवधि में कमी देखने को मिली।

प्रोफेसर राउल्ट के अनुसार इस दवा का नाम प्लाक्वेनिल है, जिसमें क्लोरोक्वाइन की मात्रा मिली हुई है। क्लोरोक्वाइन आमतौर पर मलेरिया से बचाव और उसके इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि हमने उन सभी लोगों को शामिल किया, जिनका इलाज किया जाना था जिनमें लगभग सभी संक्रमित मरीज थे। प्रोटोकॉल के तहत फ्रांस के दो शहरों नीस और एविग्नन ने हमें दो संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए सौंपा, जिनका अभी तक इलाज नहीं हुआ था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 24 मरीजों को इलाज की पेशकश की गई थी, जो फ्रांस के दक्षिण-पूर्व इलाके में संक्रमित होने वाले फ्रांस के पहले मरीज थे। ये मरीज स्वेच्छा से इस प्रक्रिया के लिए अस्पताल में भर्ती हुए।

प्रोफेसर राउल्ट ने बताया कि मरीजों को हर रोज दवा की 600 माइक्रोग्राम डोज दस दिनों तक दी गई। उन पर करीब से निगरानी की गई, क्योंकि जिस दवा को उनको दिया जा रहा था, उसका दुष्प्रभाव मरीजों पर हो सकता था।

उन्होंने कहा कि हम यह पता लगाने में सक्षम थे कि जिन रोगियों को प्लाक्वेनिल (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन युक्त दवा) नहीं मिला था, वे छह दिनों के बाद भी संक्रामक थे। लेकिन जिन्हें प्लाक्वेनिल दिया गया, उनमें केवल 25 फीसदी ही दिए गए अवधि के बाद भी संक्रामक थे।

क्लोरोक्वाइन फॉस्फेट और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग चीन में कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए पहले किया गया था। एचआईवी का इलाज करने में प्रयोग की जाने वाली एंटीवायरल दवा कालेट्रा का भी कोरोना के इलाज के लिए प्रयोग किया गया है।

Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

Next Story