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Durga Puja 2022 Maha Panchami Date: शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से शुरु होती है दुर्गा पूजा, जानें महत्व और पूजा विधि

Special Coverage Desk Editor
29 Sep 2022 5:24 PM GMT
Durga Puja 2022 Maha Panchami Date: शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से शुरु होती है दुर्गा पूजा, जानें महत्व और पूजा विधि
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Durga Puja 2022 Maha Panchami Date: शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से शुरु होती है दुर्गा पूजा, जानें महत्व और पूजा विधि

Durga Puja 2022 Maha Panchami Date: देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम मची है और दुर्गा पूजा उत्सव का आगाज होने वाला है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की महा पंचमी भी पूजा अनुष्ठानों से भरा एक महत्वपूर्ण दिन है. इस साल महा पंचमी 30 सितंबर 2022 को पड़ रही है.

Durga Puja 2022 Date: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के दौरान आने वाली दुर्गा पूजा का बेहद ही खास महत्व होता है. यह विशेष तौर पर बंगाल का त्योहार है लेकिन अब देशभर में कई राज्यों में इसे बड़ी धूमधाम के साथ (Navratri 2022) सेलिब्रेट किया जाता है. दुर्गा पूजा शारदीय नवरात्रि के छठे दिन यानि षष्ठी तिथि से आरंभ होती है. (Durga Puja 2022 Kab Hai) आइए जानते हैं इस साल कब है कि दुर्गा पूजा और इसके शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन विधि तक सबकुछ.

कब शुरू होगी दुर्गा पूजा 2022

दुर्गा पूजा शारदीय नवरात्रि के छठे दिन आरंभ होती है. इस बार 6वां नवरात्रि यानि षष्ठी तिथि 1 अक्टूब 2022 को है. इस दिन दुर्गा पूजा शुरू होगी और 5 दिनों तक चलेगी. इस दौरान प्रत्येक दिन मां दुर्गा अलग—अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है.

पहला दिन: कल्परम्भ पूजा

इस साल षष्ठी तिथि 30 सितंबर का रात 11 बजकर 36 मिनट पर आरंभ होगी और 1 अक्टूबर को रात 8 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन कल्पम्भ पूजा होती है और दौरान मां दुर्गा से मुख से पर्दा हटाया जाता है. कहते हैं दुर्गा पूजा के पहले दिन मां अपने चार बच्चों गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ धरती पर अवतरित होती हैं.

दूसरा दिन: कोला बौ या कोलाबोऊ पूजा

दुर्गा पूजा के दूसरे दिन को कोला बौ या कोलाबोऊ पूजा के नाम से जाना जाता है. इस पूजा की शुरुआत सुबह स्नान के साथ शुरू होती है. इस दिन केले के पेड़ को नदी या पानी से नहलाया जाता है. फिर उसे नवविवाहित दुल्हन की तरह साड़ी पहनाकर तैयार करते हैं.

तीसरा दिन: कुमारी पूजा

दुर्गा पूजा के तीसरे दिन यानि अष्टमी तिथि के दिन कुमार पूजा की जाती है जिसे कन्या पूजन भी कहते हैं. इस दिन किसी कुंवारी कन्या को देवी दुर्गा के रूप में सजाया जाता है और फिर उसकी पूजा की जाती है. इस दिन शाम के समय मां दुर्गा के चामुंडा रूप का पूजन करना महत्वपूर्ण माना गया है.

चौथा दिन: महानवमी या दुर्गा बलिदान

दुर्गा पूजा के चौथे दिन यानि नवमी तिथि को महानवमी और दुर्गा बलिदान कहा जाता है. यह दुर्गा पूजा का अंतिम दिन होता है और इस दिन एक महाआरती के साथ पूजा का समापन किया जाता है. कहते हैं कि नवमी तिथि के दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध​ किया था.

पांचवा दिन: दुर्गा विसर्जन या सिंदूर उत्सव

दुर्गा के 5वें दिन दुर्गा विसर्जन किया जाता है और इस दिन बंगाल में सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है. दशमी तिथि के दिन मनाई जाने वाली सिंदूर खेला की रस्म का विशेष महत्व है. कहते हैं कि इस दिन मां दुर्गा अपने पति के घर वापस लौटती है और विवाहित महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित करती हैं.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. specialcoveragenews.in इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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