
राजनीतिक खबरों की भेड़चाल में ओर चिल्ला चिल्ला कर बात करते एंकरों की आवाज में इतनी बड़ी खबर क्यों हुई गायब?

गिरीश मालवीय
राजनीतिक खबरों की भेड़चाल में ओर चिल्ला चिल्ला कर बात करते एंकरों की आवाज में वो असली खबरे गायब कर दी जाती है जो आपको सीधे प्रभावित करती है. कल देश के आम कर्मचारी और कामगार की जेब पर बहुत बड़ा डाका पड़ा है. लेकिन कही भी कोई चर्चा नही हो रही है. क्या आपको किसी ने बताया कि कल से सरकार ने एंप्लाईज प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) के नियमों में बड़ा बदलाव किया है? और वह बदलाव यह है कि रिटायरमेंट के यानी 60 साल की उम्र के पहले आप अपने पीएफ की पूरी रकम नहीं निकाल पाएंगे.
कल से लागू नया नियम कहता हैं कि अगर किसी की नौकरी 60 साल से पहले जाती है. तो वो अब सिर्फ 75 फीसदी फंड ही निकाल सकेगा अभी जो नियम लागू थे. उसके तहत जरूरत के मुताबिक 100 फीसदी फंड निकालने की छूट थी. अब उसे अगर जरूरत हो तो भी सब पैसा नहीं निकाल पायेगा.
दरअसल सभी बड़े संस्थानो चाहे वह निजी हो अर्ध सरकारी हो या सरकारी ही हो, को कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में उन सभी कार्यालयों और कंपनियों को रजिस्टर करना पड़ता है. जहाँ पर 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं. जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी में काम करना शुरू करता है तो उसकी बेसिक सैलरी का 12% उसकी सैलरी से काटा जाता है और इतना ही योगदान कंपनी की तरफ से दिया जाता है. व्यक्ति की सैलरी का 12% कर्मचारी ईपीएफ में जमा हो जाता है. जबकि कंपनी द्वारा किया गये योगदान का केवल 3.67% ही इसमें जमा होता है बकाया का 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में जमा हो जाता है.
आप को जानकार आश्चर्य होगा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफ़ओ जो सभी कर्मचारियों के पीएफ फंड की देखभाल करता है. इसके 6 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं. यानी इस फैसले से सीधे 6 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. लेकिन मीडिया इस कदर मोदी सरकार की गोदी में बैठा हुआ है कि उसे इस बात की जरा भी चिंता नही है कि किस तरह मोदी सरकार आम आदमी की बचत पर हक जमा कर बैठ गयी हैं.
