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दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल रहे, 44 बार जेल भी गए, ऐसे किसानों के मसीहा बने राकेश टिकैत

Arun Mishra
29 Jan 2021 8:16 AM GMT
दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल रहे, 44 बार जेल भी गए, ऐसे किसानों के मसीहा बने राकेश टिकैत
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किसान नेता राकेश टिकैत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद पुलिस दिल्ली बॉर्डर खाली करवाने की कोशिश कर रही है. प्रशासन की सख्ती के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर तीन कंपनी CAPF, 6 कंपनी PAC और 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने भावुक होकर दो टूक कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. उनके इंटरव्यू के दौरान रोने का वीडियो भी सामने आया है.

देखते ही देखते यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों के गांवों में तेजी से फैलने लगा और किसानों ने उनका समर्थन करने का फैसला किया. देर रात में ही यूपी के कई जिलों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच गए. आइये जानते हैं टिकैत किसानों से कैसे जुड़े.

किसानों के लिए संघर्ष करना विरासत में मिला

किसान नेता राकेश टिकैत एक बार फिर से चर्चा में हैं. उन्हें किसान सियासत अपने पिता और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद महेंद्र सिंह टिकैत देश में सबसे बड़े किसान नेता थे. टिकैत की एक आवाज पर किसान दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता हिला देने की ताकत रखते थे. महेंद्र सिंह टिकैत ने एक नहीं कई बार केंद्र और राज्य की सरकारों को अपनी मांगों के आगे झुकने को मजबूर किया. महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. मध्यप्रदेश के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे. इसके साथ ही किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए भी उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया था तो उन्हें तिहाड़ भेजा गया था. उस समय राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर ही गन्ना जला दिया था. इसके अलावा भी भी राकेश टिकैत किसानों की मांगों के लिए आंदोलन करते रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में उस समय रखी गई थी, जब बिजली के दाम को लेकर किसानों ने शामली जनपद के करमुखेड़ी में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन किया था. इसमें दो किसान जयपाल और अकबर पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे. उसके बाद ही भारतीय किसान यूनियन का गठन किया गया और अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बने थे. इसके बाद महेंद्र टिकैत किसानों के हक की लड़ाई जीवन भर करते रहे और अपनी छवि किसान मसीहा के तौर पर बनाई.

मेरठ यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई

राकेश टिकैत की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह तीन बच्चों के पिता है. राकेश टिकैत की 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता से हुई. तीनों बच्चों (एक बेटा दो बेटियां) का विवाह हो चुका है. राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है.

लोकसभा चुनाव भी लड़ा

इन्हें 2014 में यूपी की अमरोहा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह लोकसभा प्रत्याशी बनाया, जिसमें वह हार गए थे.

कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते थे टिकैत

राकेश टिकैट 1992 में कांस्टेबल के पद पर नौकरी किया करते थे. पिता का राकेश पर काफी प्रभाव था. 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था. जब सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये भी अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे. पिता महेंद्र टिकैत की मौत कैंसर से हुई थी.

पिता महेंद्र टिकैत की जगह नरेश टिकैत को मिली कमान

पिता महेंद्र टिकैत की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया. इसके पीछे वजह हे कि बालियान खाप के नियमों के अनुसार- बड़ा बेटा ही मुखिया होता है. ऐसे में नरेश टिकैत अध्यक्ष हैं, लेकिन किसान यूनियन की असल कमान राकेश टिकैत के हाथ में ही है. सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं. नरेश टिकैत अध्यक्ष है तो वहीं राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है.

राकेश टिकैत ही लेते हैं अहम फैसला

हालांकि, नरेश टिकैत भले ही किसान यूनियन के अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन व्यावहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं. किसान आंदोलन की रूप रेखा आज भी राकेश टिकैत ही तय करते हैं. राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी किस्मत आजमाई. पहली बार 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन नहीं जीत सके. इसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर जीतकर संसद नहीं पहुंच सके.

महेंद्र सिंह टिकैत का कुनबा

महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी. उनके चार बेटे और दो बेटियां हैं. महेंद्र सिंह टिकैत के सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं, जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, दूसरे नंबर पर राकेश टिकैत, जो किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. तीसरे नंबर पर सुरेंद्र टिकैत और तीसरे नंबर पर सुरेंद्र टिकैत हैं, जो मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं. वहीं, सबसे छोटे बेटे नरेंद्र टिकैत खेती का काम करते हैं. राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था. उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है. उसके बाद एलएलबी किया. राकेश टिकैत की शादी साल 1985 में बागपत जनपद के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी. इसी साल उनकी नौकरी दिल्ली पुलिस में लगी थी. इनके एक पुत्र चरण सिंह और दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं. इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है.

अब दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मामला

किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस ने राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है. दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर आईपीसी की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, मारने या चोट पहुंचाने की कोशिश), 120 बी (आपराधिक साजिश) और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है. मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जाएगी. दिल्ली पुलिस ने सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया है.

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