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हाथरस कांड के बाद महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की राज्‍यों को एडवाइजरी- FIR दर्ज करना अनिवार्य, दो महीने में पूरी हो जांच

Arun Mishra
10 Oct 2020 9:53 AM GMT
हाथरस कांड के बाद महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की राज्‍यों को एडवाइजरी- FIR दर्ज करना अनिवार्य, दो महीने में पूरी हो जांच
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एडवाइजरी में साफ किया गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है?

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras Case) में दलित लड़की से कथित रूप से गैंगरेप और हत्या के मामले ने एक बार फिर महिला सुरक्षा (Women Safety) पर सवालिया निशान लगा दिया है. देश में इस बात को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध (Crime) को कैसे रोका जाए. देश में तेजी से बढ़ते महिला अपराध को देखते हुए गृहमंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी (Advisory) जारी की है.

महिला अपराध के मामले में अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपराध होने के बाद भी थाने के चक्कर काटने को मजबूर होती हैं. सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें. गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

गृहमंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में क्या है खास

>> सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में साफ किया गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है. जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो.

>> IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है.

>> सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है. अपराध में जांच की प्र​गति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है.

>> सीआरपीसी के सेक्‍शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्‍टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा.

>> सरकार की ओर से बताया गया है कि दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है. ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है.

>> इसके साथ ही एडवाइजरी में बताया गया है कि इंडियन एविडेंस एक्‍ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्‍यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्‍य होगा.

सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर पुलिस इन प्रधावधानों का पालन सही तरीके से नहीं करेगी तो महिलाओं को न्याय मिलने में दिक्कत होगी. मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर इस मामले में लापवाही सामने आती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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