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बाजारों में बढ़ेगी रौनक, तो बढ़ न जाएं मातम !

बाजारों में बढ़ेगी रौनक, तो बढ़ न जाएं मातम !
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मगर कोरोना से मरने वालों में हर उम्र के लोग हैं शामिल, इसलिए कमोबेश सभी के सर पर लटक रही मौत की तलवार

- अर्थव्यवस्था को सम्भालने के लिए लॉकडाउन में लगभग सभी कुछ खुलने के बाद कोरोना को भी मिल गया विकराल रूप धारण करने का पूरा मौका

- उम्रदराज, गंभीर रूप से बीमार और कमजोर इम्युनिटी वालों की जान पर है सबसे ज्यादा संकट

- मगर कोरोना से मरने वालों में हर उम्र के लोग हैं शामिल, इसलिए कमोबेश सभी के सर पर लटक रही मौत की तलवार

लगता है कि कोरोना के आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था की जान बड़ी तादाद में लोगों की बलि लेकर ही बच पाएगी। क्योंकि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये बाजारों में रौनक लौटनी जरूरी है... और रौनक लौटाने के लिए लॉकडाउन खोलना सरकार की मजबूरी है। लेकिन कोरोना के फैलने से पहले की ही तरह बाहर निकल कर सबसे मिलना-जुलना अगर बहुत जरूरी कारणों से नहीं है तो निःसंदेह हमारी-आपकी जानलेवा बेवकूफी है।

देश में बहुत तेजी से फैल रहे कोरोना के इस बेहद खतरनाक दौर में सबकी भलाई तो अगले एक-दो महीने तक इसी में होगी कि वह स्वतः लॉकडाउन का पालन करे और बिना किसी जरूरी वजह के, अपने-अपने घरों से कतई न निकले। सरकार भी संभवतः इस माह या अगले माह तक यह मौन होकर देखती रहेगी कि बाजार में रौनक वापस आने के बाद कोरोना की रफ्तार किस करवट बैठती है।

जाहिर है अगर यह रफ्तार आज की तुलना में और तेज हो गई और लाखों या करोड़ की तरफ कोरोना की सुई बढ़ने लगी तो सरकार को एक बार फिर लंबे लॉकडाउन का सहारा लेकर ही स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश करनी होगी। लेकिन तब तक कौन अभागा मर जायेगा और कौन सौभाग्यशाली जिंदा रहेगा, यह बहुत कुछ इसी बात पर निर्भर करता है कि कौन स्वतः ही लॉकडाउन का पालन कर पाता है और कौन नहीं कर पाता...

अभी भी तो हमारी सरकार ने लॉकडाउन में लगभग सभी कुछ खोलकर हमें-आपको कोरोना के सामने अपनी-अपनी इम्युनिटी के सहारे जीने-मरने के लिए छोड़ दिया है. विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि यदि किसी को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी है या उसकी उम्र ज्यादा है तो उसकी इम्युनिटी कमजोर होगी ही। ऐसे में कोरोना उसे बख्श देगा, इसकी संभावना बेहद कम है। सामान्य स्वास्थ्य या कम उम्र के लोग, जिनकी इम्युनिटी प्रोटीन, विटामिन सी, डी, बी6, ई और जिंक, ओमेगा - 3 आदि की कमी पड़ने की वजहों से कुछ कमजोर है, उनके लिए भी जीवन-मौत की इस लड़ाई में कोरोना का ही पलड़ा कुछ भारी पड़ने की पूरी आशंका है।

वैसे तो, अभी तक देश-दुनिया में पक्के तौर पर यह कोई बताने की स्थिति में है ही नहीं कि कोरोना का शिकार होने के बाद पक्के तौर पर मरेगा कौन या कौन इससे बच जाएगा... कोरोना किसे अपने साथ ले जाएगा और किसे नहीं, यह उम्र, जेंडर, स्वास्थ्य आदि देखकर पहले से कोई जान नहीं सकता। इसलिए अगर कोई यह सोचकर इतरा रहा है कि वह कम उम्र है, रोगमुक्त है या मजबूत इम्युनिटी का शख्स है और कोरोना उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा तो इसका अर्थ यह है कि वह इंसान कोरोना से मरने वालों की खबरों से बिल्कुल अनजान है...

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

अश्वनी कुमार श्रीवास्त�

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