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सुधर जाओ घूसखोरों, वरना जनता सार्वजनिक रूप से जुलूस निकालेगी बिना देखे कि कलेक्टर हो या वर्दी वाले!

सुधर जाओ घूसखोरों,  वरना जनता सार्वजनिक रूप से जुलूस निकालेगी बिना देखे कि कलेक्टर हो या वर्दी वाले!
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सोचिये कि यदि 30 प्रतिशत कमिशन दिया, 30 प्रतिशत ठेकेदार ने बचाया, तो वह कैसा निर्माण करेगा बचे 40 प्रतिशत में!

गाज़ियाबाद के मुरादनगर में श्मशान घाट में निर्माण कार्य में हुए घोटाले के कारण लिंटर गिरने से कमसेकम 25 लोग असमय ही काल-कवलित हो गये एवं कई अन्य घायल हुए।

मुरादनगर के ठेकेदार अजय त्यागी ने गिरफ्तार होने के बाद बताया कि किसी भी टेंडर मिलने के बाद सरकारी अधिकारियों को वह पूरे कार्य हेतु मिले सरकारी धन का 28 से 30 प्रतिशत कमिशन देता था।

इस काम के लिए उसे 55 लाख ₹ मिले थे, जिसमें से 16 लाख ₹ उसे बतौर कमिशन देना पड़ा था। वहाँ की घूसखोर महिला कार्यपालिका अधिकारी निहारिका सिंह का नाम इसमें आया है। इसके अलावा भी वहाँ जितने सरकारी अधिकारी, इंजीनियर, सर्वेयर इत्यादि थे, सब माल बनाते थे!

सोचिये कि यदि 30 प्रतिशत कमिशन दिया, 30 प्रतिशत ठेकेदार ने बचाया, तो वह कैसा निर्माण करेगा बचे 40 प्रतिशत में!

ऐसे घूसखोरों की बुद्धि घूस लेते-लेते चौपट हो जाती है। इनको लालच में समझ ही नहीं आता कि पकड़े जाएंगे तब क्या होगा! ठेकेदारों का तो कहिये मत। बस चार पैसे बन गये, गले में सोने की मोटी चेन डाल ली, दो-चार टट्टू पाल लिए साथ में बंदूक लेकर घूमने वाले और स्कार्पियो से लेकर फॉर्च्यूनर में उड़ने लगे!

यही हाल राजस्थान के बाराँ जिले के कलेक्टर इन्द्र सिंह राव के साथ हुआ। अब जेल में मूर्ख सड़ रहा। पेट्रोल पंप आवंटन के लिए पैसे लेता था। कलेक्टरी गयी, सो अलग!

कई सरकारी मुलाजिम बस सोचते हैं कि किसी तरह इतना अवैध पैसा इक्कट्ठा कर लो कि फिर सात पुश्त तक सोचना न पड़े। गदहे कहीं के!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी से कतिपय लोग चिढ़ते हैं। अनेक कारण हैं चिढ़ने के, जिसके पीछे मैं नहीं जाना चाहता। पर बन्दे ने दिखा दिया है कि किस तरह घूसखोर अधिकारियों व ठेकेदारों को कस कर ऐंठा जाता है।

अब जितना भी नुकसान हुआ है एवं दुर्घटना में मारे गये लोगों को जो मुआवजा दिया जाएगा, वह सभी इन घूसखोरों से वसूला जाएगा। ऐसा पहली बार होगा, जब नुकसान एवं मुआवजे की भरपाई सरकारी अधिकारियों व ठेकेदारों से की जाएगी। जेल में सड़ेंगे सो अलग।

पटना जिले के मसौढ़ी में इसी तरह सड़क पर घूस लेते दरोगा अरविंद कुमार व अन्य पुलिसकर्मियों का जब कुछ लोग वीडियो बनाने लगे दो दिन पहले, तो पहले तो पुलिस वालों ने ऐंठने की कोशिश की, पर जब वीडियो बनाने वालों ने पुलिस वालों के कॉलर पकड़ लिए, तो दरोगा जी पैर पकड़ कर माफी माँगने लगे बीच सड़क पर! क्या इज्जत रह गयी?

सुधर जाओ घूसखोरों। अभी भी समय है। वरना अब जनता सार्वजनिक रूप से जुलूस निकालेगी बिना यह देखे कि कलेक्टर हो या वर्दी वाले! वैसे लोगों को भी शर्म आनी चाहिए, जो बात-बात पर पैसे देकर जुगाड़ से अपना काम करवाते हैं।

भारतीय मानसिकता ऐसी बन गयी है कि यदि कोई ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस या प्रशासनिक अफसर आ जाये, तो कतिपय लोग ही कहते हैं कि अरे यार, बहुत ''हरामी'' है! काम (मतलब गलत काम) नहीं होने देता है!

एक बार पिछले लोकसभा चुनाव से पहले एक जगह गया बिहार के एक पिछड़े जिले में तो वहाँ अदालत परिसर में एक ग्रामीण बुजुर्ग बहुत दुःखी थे कि अब वह कट्टा लेकर घूम नहीं पाते। तब एक महान स्थानीय नेता जी ने उक्त ग्रामीण बुजुर्ग को कहा कि चिंता मत कीजिये, बस अबकी इलेक्शन (2019 लोकसभा चुनाव) मोदिया साफ हो जाएगा तो फिर कट्टा लेकर घुमियेगा!

यह तो मानसिकता है तथाकथित सभ्य लोगों की!

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