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इन दो घटनाओं से दहल गया भारत, एक को मीडिया ने दिया तूल तो दूसरी को क्यों गया भूल बेटी तो वो भी है!

Shiv Kumar Mishra
10 Sep 2020 2:45 AM GMT
इन दो घटनाओं से दहल गया भारत, एक को मीडिया ने दिया तूल तो दूसरी को क्यों गया भूल बेटी तो वो भी है!
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रामभरत उपाध्याय

कल का दिन अद्भुत संयोग का साक्षी रहा। एक तरफ मुम्बई में एक अभिनेत्री को वाई प्लस सुरक्षा मिली और प्रदेश सरकार पर आरोप लगा कि उसनें उन मोहतरमा का घर तोड़वा दिया। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में उन्नाव रेप केस में तीन महिला अधिकारियों की संलिप्तता को सीबीआई नें माना और कार्यवाही करनें की सिफ़ारिश भी की।

दोनों ही मामलों में राजनीति का जोरदार तड़का है। पहले वाले मुद्दे को मीडिया नें रात-दिन एक करके पल-पल की जानकारी लोगों को दी, महाराष्ट्र सरकार से सवाल भी पूंछे लेकिन क्या इसी मीडिया नें यही काम दूसरे वाले मामलें में किया था? अगर किया होता तो पीड़िता को न्याय मिलनें में शायद इतना समय नहीं लगता। खैर, देर से ही सही पर दोषी को सजा तो मिल ही चुकी है और अब बची खुची कसर सीबीआई अपनी जाँच में पूरा कर रही है।

उन्नाव दुष्कर्म मामले में सीबीआई ने तीन महिला अधिकारियों को लापरवाही का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। इनमें उन्नाव की डीएम रहीं अदिति सिंह और दो आईपीएस अधिकारी नेहा पांडेय व पुष्पांजलि सिंह शामिल हैं। सीबीआई ने इनके अलावा तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अष्टभुजा सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की है।

अभी तक मीडिया रिया चक्रवर्ती के पीछे पड़ी हुई थी और अंततः उसको जेल भेजकर ही दम लिया। यही दम अगर अपराध, भ्रष्टाचार, बलात्कार, और सामाज के प्रति अपनें दायित्व के लिए करती तो आज चारों तरफ़ इतनी थू-थू नहीं होती। आज मीडिया दो धड़ों में बंट चुकी है एक राष्ट्रवादी मीडिया और दूसरी देशहित मीडिया। यहां ये कहना बिलकुल भी ठीक नहीं होगा कि जो राष्ट्रवादी मीडिया है सिर्फ़ वही सच्ची देश भक्त है दरअसल भारत विविधताओं भरा देश है इसलिए यहाँ कुछ भी ब्लैक एंड व्हाइट जैसा नहीं हो सकता। भारत की पहचान यही है कि यहाँ कई रंग हैं और सब अपनें में सुन्दर हैं।

आज जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सबसे तेज और सबसे आगे रहने की होड़ में अपनें मूल अस्तित्व और जिम्मेदारी को पीछे छोड़ती जा रही है ऐसे में प्रिंट मीडिया की भूमिका एक बार फिर महसूस की जानें लगी है। हर रोज जब अखबार आता है तो उसकी हेड लाइन एक जैसी नहीं होती। ख़बरों में विविधता होनी आवश्यक है।

प्रतिदिन हजारों घटनाएं घटित होती हैं कुछ अच्छी कुछ बुरी , मीडिया का काम है उन सबको बताना। हाँ, ये जरूर होना चाहिए कि जो आवश्यक और महत्वपूर्ण खबरे हैं, उनका फॉलोऑन जरुरी है लेकिन इस बीच उसकी महत्ता बरकार रखी जानी चाहिए ऐसा न हो कि लोग भूख और बेरोजगार से पीड़ित हों और उन्हें दिखाया जाए कि कोई बड़ा अभिनेता एक दिन में दस लाख खर्च करता है। इससे उन गरीब और बेरोजगार लोगों को कोई लेना देना है ऊपर से वे गाली जरूर देंगें।

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