राष्ट्रीय

बांझपन तलाक का आधार नहीं: हाईकोर्ट कोलकाता

Satyapal Singh Kaushik
20 Jan 2023 1:15 PM GMT
बांझपन तलाक का आधार नहीं: हाईकोर्ट कोलकाता
x
कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि बांझपन के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ संबंधी समस्याओं से जूझ रही पत्नी को छोड़ना ”मानसिक क्रूरता” के दायरे में आएगा।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं हो सकता है।

पत्नी को छोड़ना मानसिक क्रूरता: कोर्ट

साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि बांझपन के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ संबंधी समस्याओं से जूझ रही पत्नी को छोड़ना "मानसिक क्रूरता" के दायरे में आएगा. कोर्ट ने पति द्वारा दायर तलाक की याचिका को भी रद्द कर दिया है.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक,सुनवाई करते हुए जस्टिस शम्पा दत्त पॉल की कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बनने के कई विकल्प हैं. एक जीवनसाथी को इन परिस्थितियों में समझना होगा, क्योंकि एक साथी ही अपने दूसरे साथी की मानसिक, शारीरिक शक्ति को वापस पाने में मदद कर सकता है. इस तरह बीच सफर बांझपन तलाक का आधार नहीं बनाया जा सकता है.दरअसल, 6 साल पहले यानी 2017 में एक पति ने अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए याचिका दायर की थी. जिसका मुद्दा था कि अब पत्नी कभी मां नहीं बन सकती है. इसी मामले पर सुनवाई हो रही थी।

कोर्ट ने पति के तलाक के मुकदमे को खारिज कर दिया

आपको बता दें कि पति के कोर्ट में तलाक की याचिका दायर करने पर पत्नी ने भी बेलियाघाटा थाने में शिकायत दर्ज कराई. पत्नी ने पति के खिलाफ मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न और क्रूरता की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया. उसके बाद से मामला कोर्ट में विचाराधीन रहा. पत्नी के बांझपन के कारण पति उससे तलाक लेना चाहता था. कोर्ट में पत्नी की ओर से बताया गया कि समय से पहले मासिक धर्म बंद होने के चलते वो मेंटल हेल्थ इश्यू से जूझ रही है. सब कुछ जानते हुए भी पति तलाक चाहता है।

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं हो सकता है. साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि बांझपन के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ संबंधी समस्याओं से जूझ रही पत्नी को छोड़ना "मानसिक क्रूरता" के दायरे में आएगा. इसके साथ ही पति के तलाक के मुकदमे को खारिज कर दिया.आपकों बता दें कि पति-पत्नी की शादी को 9 साल हो चुके हैं. महिला पेशे से एक स्कूल टीचर है. महिला का बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस में ट्रीटमेंट भी चल रहा है।

Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

Next Story