
राज्यसभा में सदन के नेता बनाए गए जेपी नड्डा, जानिए- सदन के नेता की जिम्मेदारी क्या होती है?

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा को राज्यसभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया है। उनसे पहले केंद्रीय मंत्री और उनकी पार्टी के सहयोगी पीयूष गोयल थे, जो अब महाराष्ट्र के उत्तरी मुंबई से लोकसभा के सदस्य हैं।
इस साल फरवरी में भाजपा ने नड्डा को गुजरात से उच्च सदन के लिए मनोनीत किया था। हिमाचल प्रदेश से उच्च सदन के सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त होना था, जिसके बाद उन्होंने 4 मार्च को हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और गुजरात से सदन के लिए निर्विरोध चुने गए। राज्यसभा सदस्य के रूप में यह उनका तीसरा कार्यकाल है।
कौन होता है सदन का नेता?
राज्यसभा में सभापति और उपसभापति के बाद सबसे अहम पद सदन के नेता का होता है. राज्यसभा में सदन के नेता आमतौर पर प्रधानमंत्री होते हैं, अगर वो इसके सदस्य हैं. अगर प्रधानमंत्री राज्यसभा के सदस्य नहीं हैं तो फिर वो किसी मंत्री या अपनी पार्टी के किसी सांसद को सदन का नेता नियुक्त करते हैं.
जानिए- सदन के नेता की जिम्मेदारी क्या होती है?
सदन के नेता का काम राज्यसभा की कार्यवाही सुचारू तरीके से चलाना होता है. सार्थक बहस के लिए सदन के सभी सदस्यों के बीच समन्वय बनाए रखने में भी इनकी अहम भूमिका होती है. सदन के नेता को पहली पंक्ति में पहली सीट दी जाती है, ताकि वो न सिर्फ सरकार बल्कि विपक्ष, मंत्रियों और पीठासीन अधिकारियों के संपर्क में बना रहे. राज्यसभा के सभापति लगभग सभी काम के लिए सदन के नेता से सलाह लेते हैं. फिर चाहे सदन की कार्यवाही हो या फिर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए दिन और समय का आवंटन हो, सभापति सदन के नेता से सलाह लेते हैं. फाइनेंस बिल या किसी प्रस्ताव पर चर्चा करनी हो तो उसके लिए भी सभापति सदन के नेता से सलाह लेते हैं. इसके अलावा किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या नेता का निधन होने पर सदन को स्थगित करना या फिर किसी भी मामले में उनसे सलाह ली जाती है. सदन के नेता ये भी सुनिश्चित करते हैं कि सदन के सामने लाए किसी भी मामले पर सार्थक चर्चा के लिए सदन को सभी संभव और उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं. इसके साथ ही वो सदन के प्रवक्ता के रूप में भी काम करते हैं.