राष्ट्रीय

कसाब क्यों बांध रखा था हाथ में "कलावा" राकेश मारिया ने किया इसका खुलासा

Sujeet Kumar Gupta
18 Feb 2020 10:54 AM GMT
कसाब क्यों बांध रखा था हाथ में कलावा राकेश मारिया ने किया इसका खुलासा
x
राकेश मारिया के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (IS) ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की साजिश रची थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने आईएसआई का साथ दिया था

नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को लेकर खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान उसे एक हिंदू के तौर पर मारना चाहता था। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब 'लेट मी से इट नाउ' में खुलासा किया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चाहती थी कि कसाब को भारत एक हिंदू मान ले इसीलिए उसने दाऊद इब्राहिम के गैंग को कसाब को मारने की सुपारी दी थी।

राकेश मारिया के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (IS) ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की साजिश रची थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने आईएसआई का साथ दिया था. इसके लिए आईएसआई ने अजमल कसाब समेत सभी 10 हमलावरों को फेक आई कार्ड के साथ उन्हें हिंदू बनाकर मुंबई भेजा था।

इन 10 हमलावरों में सिर्फ कसाब को ही जिंदा पकड़ा जा सका था. पुलिस को उसके पास से बेंगलुरु के रहने वाले किसी समीर दिनेश चौधरी का फर्जी आईकार्ड भी मिला था. हिंदू दिखने के लिए कसाब ने अपने दायें हाथ की कलाई में कलावा (मौली) भी बांध रखा था. पुलिस की ओर से जारी कसाब की फोटो में कलावा देखा जा सकता है।

किताब में लिखा है कि लश्कर-ए-तैयबा मुंबई हमले को 'हिंदू आतंकवाद' के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहता था। लश्कर की योजना थी कि इस हमले से कसाब को बंगलूरू निवासी समीर चौधरी ठहराया जाए और सभी टीवी चैनलों और समाचार पत्र में इसे हिंदू आतंकी के तौर पर दिखाया जाए।

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब 'Let Me Say It Now' में दावा किया है कि आतंकी संगठन 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाना चाहते थे. कसाब के पास से हिंदू लड़के का आईकार्ड मिलने के बाद तब कई टीवी चैनल्स ने उस आईकार्ड में दिए गए पते के मुताबिक बेंगलुरु में कवरेज भी की थी. फिर ऐसी खबरें भी आई थीं कि हमलावर के पास से हैदराबाद के अरुणोदय कॉलेज के फर्जी आईकार्ड मिले थे. हालांकि, ये सभी रिपोर्ट खारिज हो गईं. असल में अजमल कसाब पाकिस्तान के फरीदकोट का रहने वाला था।

राकेश मारिया ने अपनी किताब में लिखा कि अजमल कसाब भारत के मुस्लिमों को लेकर अजीब सोच रखता था. उसका मानना था कि हिंदुस्तान में मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने की इजाजत नहीं है और मस्जिदों में ताले लगे होते हैं. लेकिन, जब उसने लॉकअप में पांचों वक्त की नमाज सुनी, तो हैरान रह गया. ये उसकी कल्पना के बाहर की चीज थी.

किताब में लिखा है कि कसाब लूटपाट के उद्देश्य से लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। उसकी जिहाद जैसी कोई सोच नहीं थी। कसाब और उसका दोस्त मुजफ्फर लाल खान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लूटपाट करना चाहते थे। पूर्व कमिश्नर ने लिखा है कि कसाब को जिंदा रखना हमारी प्राथमिकता थी। मुंबई के पुलिस अधिकारियों में उसको लेकर गुस्सा और शत्रुता की भावना थी।

उन्होंने लिखा, पुलिस सुरक्षा की दृष्टिकोण से कसाब से जुड़ी किसी भी जानकारी को बाहर नहीं लाना चाहती थी। हम रोज उससे व्यक्तिगत पूछताछ करते थे। उसने मुझे आतंकवादी संगठन से जुड़ी कई गोपनीय जानकारी भी दी थीं। रोज की पूछताछ से कसाब और मेरे बीच संबंध बेहतर हो गए थे। वह मुझे सम्मान देते हुए जनाब कहने लगा था।

कसाब मुझे सम्मानपूर्वक 'जनाब' कहने लगा था: मारिया

"कसाब को जिंदा रखना हमारी प्राथमिकता थी। मुंबई के पुलिस अधिकारियों में उसको लेकर गुस्सा और शत्रुता की भावना थी। पुलिस सुरक्षा की दृष्टिकोण से कसाब से जुड़ी किसी भी जानकारी को बाहर नहीं लाना चाहती थी। हम रोज उससे व्यक्तिगत पूछताछ करते थे। उसने मुझे आतंकवादी संगठन से जुड़ी काफी गोपनीय जानकारी भी दी थी। रोज की पूछताछ से कसाब और मेरे बीच संबंध बेहतर हो गए थे। जल्द ही वह मुझे सम्मान देते हुए 'जनाब' कहने लगा था।

"लश्कर में तीन राउंड तक प्रशिक्षण दिए जाने के बाद कसाब को 1 लाख 25 हजार रुपए मिले और उसे एक हफ्ते के लिए हॉलिडे पैकेज दिया गया। उसने यह रुपए अपनी बहन की शादी के लिए दिए।" मारिया के अनुसार मुंबई हमले की योजना 27 सितंबर 2008 को बनाई गई थी।''

बता दें कि 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में 10 आतंकियों ने तीन जगहों पर हमला किया था. इन हमलों में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. इन 10 हमलावरों में बस एक अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा जा सका था. कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

Tags
Sujeet Kumar Gupta

Sujeet Kumar Gupta

    Next Story