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मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका का हो रहा मान-मर्दन - केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी

Sakshi
20 April 2022 12:56 PM GMT
मीडिया ट्रायल से न्यायपालिका का हो रहा मान-मर्दन - केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी
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कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान समय में अलग-अलग मामलों में मीडिया ट्रायल होने से ना केवल न्यायपालिका का मान मर्दन हो रहा है बल्कि इससे लोगों में संबंधित पक्षों के विरूद्ध पूर्वाग्रह भी पैदा हो रहा है।

केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया पर बड़ी गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान समय में अलग-अलग मामलों में मीडिया ट्रायल (Media Trail) होने से ना केवल न्यायपालिका (Court) का मान मर्दन हो रहा है बल्कि इससे लोगों में संबंधित पक्षों के विरूद्ध पूर्वाग्रह भी पैदा हो रहा है।

इसी के साथ न्यायालय ने एक खबरिया चैनल को एक अभिनेत्री पर हमला मामले की रिपोर्टिंग में अभिनेता दिलीप (Dileep) के रिश्तेदार के संबंध में निचली अदालत (Lower Court) के आदेश के सिवाय कुछ भी नहीं प्रसारित/प्रकाशित करने से रोका है। न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी ने इस मामले में निर्देश देते हुए कहा है कि है कि अंतरिम आदेश आज से तीन सप्ताह के लिए प्रभावी रहेगा।

आपको बता दें कि केरल हाईकोर्ट की तरफ से यह आदेश अभिनेता दिलीप के रिश्तेदार टीएन सूरज (TN Suraj) के एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान आया है। आवेदक ने कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा था कि कुछ पुलिस अधिकारी जांच के दौरान कथित रूप से जुटायी गयी सामग्री, बंद कमरे की सुनवाई आदि कथित रूप से लीक कर रहे हैं जो मीडिया में झूठी और मनगढंत खबरों का आधार बन रहा है।

अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सूचनाएं लीक करने के आरोपी पुलिस अधिकारियों को उक्त आरोपों के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने इस मामले में केरल पुलिस के प्रमुख को भी यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जांच से संबंधित कोई भी सूचना किसी भी जांच अधिकारी की ओर से लीक नहीं की जाए यह सुनिश्चित करें।

आपको बता दें कि बीते कई वर्षों से जब से देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिरूा का प्रदुर्भाव हुआ है तब से अक्सर देखा गया है कि किसी मामले में सुनवाई के दौरान ही मीडिया में पक्षपातपूर्ण रिपोर्टें चलने लगती हैं। कई बार इस पर न्यायपालिका की ओर से आपत्ति दर्ज की गयी है, पर दुर्भाग्य से यह अब भी हो रहा है। अक्सर देखा जाता है कि मीडिया कुछ गंभीर मुद्दों पर भी संयम नहीं बरतता है और पार्टी बनने में भी संकोच नहीं करता है।

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