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दिल्ली हिंसा पर सदन में मीनाक्षी लेखी बोली- दंगा कैसे हुआ और अमित शाह क्या कर रहे थे विपक्ष को ये भी बताया

Sujeet Kumar Gupta
11 March 2020 1:49 PM GMT
दिल्ली हिंसा पर सदन में मीनाक्षी लेखी बोली- दंगा कैसे हुआ और अमित शाह क्या कर रहे थे विपक्ष को ये भी बताया
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दिल्ली हिंसा पर शेर पड़ते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'लोग टूट जाते हैं घर बनाने को, और तुम तरस नहीं खाते हो बस्तियां जलाने को.' लेखी ने कहा कि मेरे पास डेटा है कि देश में जब भी हिंसा की घटनाएं हुईं. उसका कौन जिम्मेदार था.

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण का आज छठा दिन है लोकसभा में आज दिल्ली हिंसा पर भी चर्चा हुई इस दौरान बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दावा किया है कि दिल्ली में पिछले दिनों भड़की हिंसा दंगा नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश थी। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रही है। दिल्ली हिंसा के विषय पर सदन में चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने दावा किया कि जिस हिंसा के लिये महीनों से तैयारियां चल रही थी,

उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में जो कुछ हुआ, वह दंगा नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इतने सालों तक पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यकों को यहां शरण देने के लिए कोई काम नहीं किया, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर लोगों को भड़काया। लेखी ने कहा कि सीएए के विरोध से ही पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ।

उन्होंने कहा कि सारे नेता सीएए कानून को अच्छी तरह से समझते हैं, लेकिन वोट बैंक की राजनीति के लिए जनता को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि वोट-बैंक की राजनीति के लिए यह सब किया जा रहा है जो 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से समाप्त हो गई है।

लेखी ने कहा कि अगर अजीत डोभाल हिंसाग्रस्त इलाकों में जाते हैं तो गलत क्या है. वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं. कांग्रेस नफरत की राजनीति करती है. मीनाक्षी लेखी ने बताया कि हिंसा के दिन गृह मंत्री अमित शाह क्या कर रहे थे मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 24 फरवरी को गृह मंत्री अमित शाह बैठक कर रहे थे. उन्होंने गृह मंत्रालय के सभी अधिकारियों के साथ बैठक की और हिंसा रोकने के निर्देश दिए थे. 25 फरवरी की सुबह उन्होंने फिर अधिकारियों के साथ बैठक की थी. हिंसा रोकने के लिए उन्होंने उच्च नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की थी.

लेखी ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर दंगा भड़काने वाला बयान देने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दिसंबर में दिल्ली में कांग्रेस की रैली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरपार की लड़ाई वाला बयान दिया, जिसके बाद शाहीन बाग में लोग धरने पर बैठने लगे। भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि उनके बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने भी उत्तेजना वाले बयान दिए।

उन्होंने कुछ आप नेताओं, एआईएमआईएम के एक नेता और जेएनयू के छात्र नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे भड़काऊ बयान दिये लेकिन उनकी विपक्ष बात नहीं कर रहा। लेखी ने भाजपा सांसदों अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर भड़काऊ बयान के आरोपों की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके बयान का दिल्ली हिंसा से कोई लेनादेना नहीं दिखता।

उन्होंने दावा किया कि आंकड़ों के अनुसार आजादी के बाद देश में कुल 1194 दंगों में से 871 दंगे यानी 73 प्रतिशत दंगे पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकारों समेत कांग्रेस के शासनकाल में हुए।

मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'आजादी के बाद से सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस के कार्यकाल में हुए थे. 1984 के दंगों की बात की जाए तो मैं उन्हें बताना चाहूंगी की वे यह भूल गए कि कुछ आरोपी आज सीएम पद पर बैठे हैं. दिल्ली हिंसा को 36 के अंदर नियंत्रण में ले लिया गया था. जबकि 1984 का दंगा महीनों तक चलता रहा था.'

लेखी ने कहा कि देश के इतिहास में 18 सबसे भयावह दंगे कांग्रेस और उनके सहयोगियों के शासनकाल में हुए और केवल एक दंगा गुजरात में (भाजपा शासन में) हुआ। भाजपा सांसद ने कहा कि गुजरात में इससे पहले हर साल दंगे होते थे, लेकिन 2002 के बाद वहां एक भी दंगा नहीं हुआ।

उन्होंने दिल्ली हिंसा को काबू पाने में गृह मंत्री अमित शाह की सक्रियता का उल्लेख करते हुए कहा, 'गृहमंत्री आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश को मजबूत करने के अपने काम में लगे रहें। बहुसंख्यक चुप हैं लेकिन आपके साथ चट्टान की तरह खड़े हैं।'

दिल्ली हिंसा पर शेर पड़ते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'लोग टूट जाते हैं घर बनाने को, और तुम तरस नहीं खाते हो बस्तियां जलाने को.' लेखी ने कहा कि मेरे पास डेटा है कि देश में जब भी हिंसा की घटनाएं हुईं. उसका कौन जिम्मेदार था.

वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए बीजेपी सांसद ने कहा, 'दिल्ली के लोगों ने मुफ्त बिजली और पानी के लिए एक पार्टी को वोट दिया था. लेकिन हमने देखा कि हिंसा में करोड़ों का नुकसान हुआ. लेकिन दिल्ली की सरकार खामोश बैठी रही.

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