राष्ट्रीय

प्रवासी मजदूर और राजनीति (दो)

Shiv Kumar Mishra
19 May 2020 8:37 AM GMT
प्रवासी मजदूर और राजनीति (दो)
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प्रवासी मजदूर राजनीति के शिकार हो गए हैं। मैंने सुबह लिखा था कि राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों से बात की तो वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने उनका समय खराब कर दिया। राहुल गांधी उनकी सहायता करना चाहते थे तो उन्हें मजदूरों का सामान उठाकर उनके साथा चलना चाहिए था।

संजय कुमार सिंह

प्रवासी मजदूर राजनीति के शिकार हो गए हैं। मैंने सुबह लिखा था कि राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों से बात की तो वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने उनका समय खराब कर दिया। राहुल गांधी उनकी सहायता करना चाहते थे तो उन्हें मजदूरों का सामान उठाकर उनके साथा चलना चाहिए था। राहुल गांधी 10 मिनट सामान उठाकर उनके साथ चल लेते तो कितनी मदद हो जाती इसे तो नहीं आंका जा सकता है पर समय 10 मिनट ही बचता। शाम को प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार से पांच सौ (दरअसल 1000) बसों को उत्तर प्रदेश में भिन्न जगहों पर जाने वाले मजदूरों तो छोड़ने देने की अनुमति मांगी। यह अनुमति सुबह तक नहीं दी गई थी। दोपहर में पता चला कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रियंका गांधी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। अब इसपर फिर राजनीति शुरू हो गई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि प्रियंका गांधी फंस गई और कुछ लोग इसे उत्तर प्रदेश सरकार का क्रांतिकारी फैसला कह रहे हैं।

पूरी राजनीति ट्वीटर के जरिए हो रही है पर अखबारों में खबरों की प्रस्तुति भी राजनीति से प्रभावित होती है। ट्रोल की अपनी भूमिका है। इस स्थिति में पूरी सच्चाई बतान और समझना दोनों मुश्किल है। पर पूरा मामला जानना दिलचस्प जरूर है। मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला क्रांतिकारी तब होता जब कल शाम अनुमति दे दी गई होती और कुछ लोग घर पहुंच जाते। पर ऐसा नहीं हुआ अब उत्तर प्रदेश सरकार का जो पत्र प्रियंका गांधी के निजी सचिव को संबोधित है और ट्वीटर पर कई लोगों ने शेयर किया है उसके अनुसार, अविलंब एक हजार बसों की सूची चालक / परिचालक का नाम व अन्य विवरण सहित उपलब्ध कराने का कष्ट करें जिससे इनका उपयोग प्रवासी श्रमिकों की सेवा में किया जा सके।

यह पत्र सरकारी रफ्तार से ही आया है। इसका अंतिम वाक्य का अंतिम हिस्सा बताता है कि बसों का उपयोग राज्य सरकार करेगी। मतलब पैसे प्रियंका गांधी दें और उपयोग सरकार करेगी क्योंकि प्रियंका पैदल चल रहे मजदूरों की सेवा करना चाहती है। मुझे नहीं लगता कि इससे भी स्पष्ट पत्र हो सकता है या इससे भी साफ तरीके से मना किया जा सकता है। पर इसे क्रांतिकारी फैसला बताया जा रहा है। प्रियंका गांधी के जवाब पर आने से पहले यह बताना जरूरी है कि वापस जाने का पंजीकरण कराने आज गाजियाबाद में भारी भीड़ जुट गई। प्रियंका गांधी का ट्वीट उसपर भी है।

प्रियंका गांधी का ट्वीट कल इस प्रकार था, आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपसे निवेदन कर रही हूँ, ये राजनीति का वक्त नहीं है। हमारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं। हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई बहन बिना खाये पिये, पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं। हमें इनकी मदद करने दीजिए। हमारी बसों को परमीशन दीजिए। यह ट्वीट कल शाम 03:59 का है। इसके बाद और आज कई अलग ट्वीट के बाद प्रियंका गांधी का जवाब इस प्रकार है, .... हमें उप्र में पैदल चलते हुए हजारों भाई-बहनों की मदद करने के लिए, कांग्रेस के खर्चे पर 1000 बसों को चलवाने की इजाजत देने के लिए आपको धन्यवाद।

आपको उप्र कांग्रेस की तरफ से मैं आश्वस्त करती हूँ कि हम सकारात्मक भाव से महामारी और उसके चलते लॉकडाउन की वजह से पीड़ित उप्र के अपने भाई-बहनो के साथ इस संकट का सामना करने के लिए खड़े रहेंगे। इससे पहले प्रियंका ने ट्वीट किया था, प्रवासी मजदूरों की भारी संख्या घर जाने के लिए गाजियाबाद के रामलीला मैदान में जुटी है। यूपी सरकार से कोई व्यवस्था ढंग से नहीं हो पाती। यदि एक महीने पहले इसी व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जाता तो श्रमिकों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। कल हमने 1000 बसों का सहयोग देने की बात की, बसों को उप्र बॉर्डर पर लाकर खड़ा किया तो यूपी सरकार को राजनीति सूझती रही और हमें परमिशन तक नहीं दी। विपदा के मारे लोगों को कोई सहूलियत देने के लिए सरकार न तो तैयार है और कोई मदद दे तो उससे इंकार है। इसके अलावा ट्वीटर पर बहुत सारा मनोरंजन है आप चाहें तो देख सकते हैं। राजनीति इतनी ही है।

सुबह मैंने लिखा था, इससे पहले जब खबर आई कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन से मजदूरों को पहुंचाने के पैसे लिए जा रहे हैं और पैसे नहीं होने के कारण कुछ को लौटा दिया गया तो कांग्रेस ने ऐसे प्रवासी मजदूरों का किराया देने की पेशकश की थी। ... सरकार और भाजपा ट्रेन चलाती जिनका किराया कांग्रेस से लेना होता लेती और ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को कम से कम समय में उनके गंतव्य पर पहुंचाया जाता। पर भाजपा ने न तो राजनीतिक जवाब दिया और न जनहित का काम किया उल्टे ट्रेन का चलना गोपनीय हो गया। ... भाजपा चाहती तो कांग्रेस के काफी पैसे खर्च करवा सकती थी। यह एक राजनीतिक चाल हो सकती थी .... कांग्रेस पैसे देने में आना-कानी करती तो उसपर ठोस आरोप लगाती। पर भाजपा ने वैसा कुछ नहीं किया। अब फिर फंसी है। लेकिन इस बार योगी जी ने गेंद फिर प्रियंका के पाले में डाली और प्रियंका ने जवा दे दिया है। अब बारी ट्रोल सेना की है।

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