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MP News: शिवपुरी में 40 परिवारों ने हिंदू धर्म छोड़कर अपनाया बौध्द धर्म, गांववाले कर रहे छुआछूत

Special Coverage Desk Editor
3 Feb 2024 12:57 PM IST
MP News: शिवपुरी में 40 परिवारों ने हिंदू धर्म छोड़कर अपनाया बौध्द धर्म, गांववाले कर रहे छुआछूत
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MP News: हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने वाले 40 परिवारों ने गांव वालों पर छुआछूत का आरोप लगाया है. इन आरोपों पर गांव के सरपंच ने खंडन किया है. उन्होंने कहा कि जाटव समाज के साथ कोई छुआछूत नहीं की गई है. किसी ने बहला-फुसला कर बोद्ध धर्म अपनाया है.

MP News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में धर्मांतरण का मामला सामने आया है. करैरा के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है. बौद्ध धर्म अपनाने वालों ने अपने साथ छुआछूत का आरोप लगाया है. हिंदू धर्म में गांव के लोग उनके साथ भेदभाव करते थे. इसलिए एक साथ 40 घरों के जाटव समाज ने बौद्ध धर्म अपना लिया है. वहीं, इस मामले पर गांव के सरपंच ने कहा कि सभी आरोप निराधार हैं. ग्रामीणों को बहला-फुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है.

जानकारी के अनुसार बहगवां में गांव के लोगों ने एक साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था. गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया. एक साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन किया गया. भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया. साथ ही हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ ली.

महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए थे. इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी. ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए. अंत में गांव वालों ने कह दिया कि अगर आपको झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ. महेंद्र बौद्ध ने कहा इसी छुआछूत के चलते हम लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है.

इस मामले पर गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं. उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पहले ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था. जो पूरे गांव से लिया और खाया भी गया. उनके अनुसार गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहला-फुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है.

उन्होंने कहा कि पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था. सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं. अन्य हरिजन समाज के लोगों ने भी भंडारे में प्रसाद परोसने और झूठी पत्तल उठाने का काम किया है. उन लोगों के साथ छुआछूत क्यों नहीं की गई? गजेंद्र ने कहा कि जाटव समाज द्वारा दिया गया चंदा वापिस लेने के कारण गांव वालों ने उसकी पूर्ति के लिए दुबारा से चंदा भी किया है.

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