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निर्भया केसः फांसी की तैयारी में लगा तिहाड़ जेल, तो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोषी अक्षय कुमार

Sujeet Kumar Gupta
10 Dec 2019 3:13 PM IST
निर्भया केसः फांसी की तैयारी में लगा तिहाड़ जेल, तो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोषी अक्षय कुमार
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तिहाड़ जेल नंबर दो में बंद निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों अक्षय, मुकेश और पवन पर नजर रखने के लिए जेल प्रशासन ने तत्काल छह सीसीटीवी कैमरे खरीदकर लगाने का निर्णय लिया है।

नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है. इससे पहले विनय मंडोली जेल में बंद था. 2012 में राजधानी में हुए निर्भया कांड के चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. विनय शर्मा के अलावा जो बाकी तीन दोषी हैं वो पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। इसी बीच एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है।

अक्षय से पहले विनय शर्मा राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका भेज चुका है जो खारिज कर दी गई है। राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद याचिका पर हुए निर्णय को लेकर तिहाड़ प्रशासन को पटियाला कोर्ट जाना होता है। दोषी का ब्लैक वारंट (जिसे डेथ वारंट भी कहते हैं) कोर्ट से जारी होगा।

दया याचिका सिर्फ विनय शर्मा ने लगाई थी। अदालत को तय करना था कि अन्य दोषी अक्षय, पवन, मुकेश दोबारा दया याचिका दे सकेंगे या नहीं? राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वे कब डेथ वारंट निकालते हैं। हालांकि इस बीच अक्षय की पुनर्विचार याचिका से मामला फिर फंस गया है।

तिहाड़ जेल नंबर दो में बंद निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों अक्षय, मुकेश और पवन पर नजर रखने के लिए जेल प्रशासन ने तत्काल छह सीसीटीवी कैमरे खरीदकर लगाने का निर्णय लिया है। ताकि, 24 घंटे दोषियों की गतिविधियों पर नजर बनी रहे। उधर, जेल नंबर चार में बंद विनय शर्मा पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

जेल सूत्रों का कहना है कि ऐसे में कोई भी दोषी किसी तरह का गलत कदम न उठाए, इसके लिए जेल प्रशासन ने तत्काल छह सीसीटीवी कैमरे खरीदने का निर्णय लिया है जेल प्रशासन समय-समय पर दोषियों की काउंसिलिंग कर रही है ताकि वह कोई गलत कदम न उठा सके।

बीते दिनों ही दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने दायर की गई दया याचिका को वापस करने के लिए अपील की थी. विनय की ओर से दलील दी गई थी कि उस याचिका में उसने हस्ताक्षर नहीं किए थे. दिल्ली सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पहले ही दोषियों की दया याचिका को खारिज करने की अपील की गई थी।

बतादें कि 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली के मुनेरका में एक प्राइवेट बस में अपने एक दोस्त के साथ चढ़ी 23 साल की पैरा मेडिकल छात्रा के साथ एक नाबालिग सहित छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और लोहे के रॉड से क्रूरतम आघात किया गया था. इसके बाद गंभीर रूप से घायल पीड़िता और उसके पुरुष साथी को चलती बस से महिपालपुर में बस से नीचे फेंक दिया गया था।

पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, उसके बाद तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने बेहतर इलाज के लिए उसे विशेष विमान से सिंगापुर भेजा था, जहां वारदात के 13वें दिन उसने दम तोड़ दिया था. निर्भया की मौत के बाद देश की सड़कों पर युवाओं का सैलाब उतरा था जो इंसाफ की मांग कर रहा था.

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