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अर्थव्यवस्था की चिंता हर किसी को, मैं सिर्फ अपना काम कर रही हूं: निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था में आई भारी सुस्ती को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को मीडिया से मुखातिब हुईं। इस दौरान उन्होंने देश की इकोनॉमी की स्थिति पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी की स्थिति क्या है, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहती हूं। मैं सिर्फ अपना काम कर रही हूं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर घटकर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इकाेनॉमी की चिंता हर किसी को है। राजस्व के लिए जीएसटी दरों को बढ़ाने की बात पर वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे कार्यालय को छोड़ हर जगह इसकी चर्चा है। बता दें कि 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। ऐसी खबरें थीं कि काउंसिल कमाई बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में बदलाव कर सकती है
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने की। इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इकोनॉमी को बूस्ट देने को लिए गए फैसलों और उपलब्धियों का भी जिक्र किया। सुब्रमण्यन के मुताबिक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी की ओर आगे बढ़ रही है। इसके लिए हमारे पास एक सुनियोजित रणनीति है।
सीईए कृष्णमूर्ति ने प्रेजेंटेशन में बताया कि केंद्र सरकार ने खपत को बढ़ावा देन के लिए अब तक कई उपाय किए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेजी मिल सके। उन्होनें कहा, 'खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने खुदरा कर्ज को बढ़ावा देने को लेकर नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (एनबीएफसी) तथा एचएफसी को सपोर्ट देने के लिए हर संभव उपाय किए हैं। एनबीएफसी तथा एचएफसी के लिए पार्शल क्रेडिट गारंटी स्कीम लाई गई है। सरकार ने पीएसयू का 61,000 रुपये तक का बकाया चुकता किया है।'
कृष्णमूर्ति ने कहा, 'भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशानुसार तमाम सरकारी बैंकों ने रीपो रेट लिंक्ड लोन प्रॉडक्ट लॉन्च किए, ताकि लोग बैंकों से कर्ज लेने को उत्साहित हों और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके।' उन्होंने कहा कि पीएसबी में 16,716 करोड़ रुपये की ट्रांसपेरेंट वन टाइम सैटलमेंट पाॉलिसी लाई गई।
देश के आर्थिक हालात की बात करें तो लगातार झटके लग रहे हैं। बीते दिनों चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए गए। इसके मुताबिक दूसरी तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा 4.5 फीसदी पहुंच गया है। यह करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं कोर सेक्टर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, महंगाई दर समेत अन्य आंकड़े भी अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है।