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PFI Banned : मोदी सरकार ने 5 साल के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को किया 'बैन', सरकार ने गिनाईं PFI पर एक्शन की वजहें

Arun Mishra
28 Sep 2022 4:49 AM GMT
PFI Banned : मोदी सरकार ने 5 साल के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को किया बैन, सरकार ने गिनाईं PFI पर एक्शन की वजहें
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सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया है. इतना ही पीएफआई के 8 सहयोगी सगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया है. इतना ही पीएफआई के 8 सहयोगी सगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. दो दौर की देशव्यापी छापेमारी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 240 से अधिक नेताओं और पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद, केंद्र ने कल शाम संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तत्काल प्रभाव से "गैरकानूनी संघ" घोषित किया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्री की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेश में कहा गया है कि सरकार ने पीएफआई की विध्वंशक गतिविधियों को देखते हुए देशहित में विधिविरुद्ध गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 यानी यूएपीए के सेक्शन 3 के सबसेक्शन 1 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल किया है. संबंधित सेक्शन और सब-सेक्शन में कहा गया है कि अगर सरकार को किसी व्यक्ति, संस्था या किसी और एंटिटी के खिलाफ देशविरोधी या आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत मिलें तो वह उस व्यक्ति, संस्था या अन्य एंटिटी पर प्रतिबंध लगा सकती है. केंद्र सरकार ने अपने गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों के गुनाहों को भी एक-एक करके गिनाया है.

- गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बताया, पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में काम करते हैं और देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं.

- पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन विधि विरुद्ध क्रियाकलापों में संलिप्त रहे हैं, ये देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रतिकूल है और जिससे शांति और सांप्रदायिकता सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को बढ़ावा मिलने की आशंका है.

IS जैसे आतंकी संगठनों से लिंक

- पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश से भी रहा है. ये दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठन हैं. पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं.

- पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन चोरी छिपे देश में असुराक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. इसकी पुष्टि इससे होती है कि इसके कुछ सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ चुके हैं.

PFI आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल

- पीएफआई कई आपराधिक-आतंकी मामलों में शामिल रहा है. देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है. बाहरी स्त्रोतों से धन और वैचारिक समर्थन के साथ यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है. जांच से पता चला है कि पीएफआई और इसके काडर बार बार हिंसक कार्यो में संलिप्त रहे हैं. जिसमें एक प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुडे़ लोगों की हत्या करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है.

पीएफआई सदस्य आतंकी संगठनों में हुए शामिल

- पीएफआई काडर कई आतंकी गतिविधियों और कई व्यक्तियों की हत्या में शामिल रहे हैं. और ऐसे आपराधिक कृत्य और जघन्य हत्याएं, सार्वजनिक शांति को भंग करने और लोगों के मन में आतंक का भय पैदा करने के एकमात्र उद्देश्य से की गई है. पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं और पीएफआई के कुछ सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए हैं.

अगर कार्रवाई न हुई तो क्या होगा?

केंद्र सरकार का कहना है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन देश में आतंक फैलाने और राष्ट्र की सुरक्षा, लोक व्यवस्था को खतरे में डालने के इरादे से हिंसक आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. पीएफआई की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां राज्य के संवैधानिक ढांचे और संप्रभुता का अनादर और अवहेलना करते हैं, इसलिए इनके विरुद्ध तत्काल और त्वरित कार्रवाई अपेक्षित है.

केंद्र सरकार का कहना है कि अगर पीएफआई और उसके संगठनों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो अपनी विध्वंसात्मक गतिविधियों को जारी रखेंगे. जिससे लोक व्यवस्था भंग होती है और राष्ट्र का संवैधानिक ढांचा कमजोर होगा.

पीएफआई के सहयोगी संगठनों पर भी लगाया बैन

गृह मंत्रालय ने पीएफआई को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया. पीएफआई के अलावा 8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है. PFI के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल जैसे सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है. जांच में पता चला है कि रिहैब इंडिया फाउंडेशन, पीएफआई के सदस्यों के माध्यम से धन जुटाता है और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन केरल के कुछ सदस्य , पीएफआई के कुछ सदस्य और नेता, जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन और नेशनल विमेंस की गतिविधियों की निगरानी करते हैं. पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों में हब और स्पोक जैसा संबंध है.

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