राष्ट्रीय

आजादी की 72वीं वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

सुजीत गुप्ता
14 Aug 2021 7:14 AM GMT
आजादी की 72वीं वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला
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ट्विटर पर ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

15 अगस्त से ठिक एक दिन पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। 14 अगस्त को अब से भारत में 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मनाने का एलान किया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए जान गंवाने वालों वीरों को याद किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि 14 अगस्त को लोगों के संघर्षों एवं बलिदान की याद में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा और कहा कि बंटवारे के दर्द को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। बता दें कि भारत कल यानी रविवार को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

ट्विटर पर ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।

देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि #PartitionHorrorsRemembranceDay यानी 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।

बता दें कि भारत 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, जबकि पाकिस्तान 14 अगस्त को मनाता है। 14 अगस्त को भारत के दो टुकड़े हुए थे और एक नए मुल्क का जन्म हुआ था। पाकिस्तान को 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में तराशा गया था। लाखों लोग विस्थापित हुए थे तथा बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के कारण कई लाख लोगों की जान चली गई थी।






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