राष्ट्रीय

योगी का फरमान, प्रसाशन के खड़े हुए कान, लेकिन बिखरते हुए आंदोलन में राकेश के आंसुओं ने फूंक दी जान

Shiv Kumar Mishra
29 Jan 2021 3:02 AM GMT
योगी का फरमान, प्रसाशन के खड़े हुए कान, लेकिन बिखरते हुए आंदोलन में राकेश के आंसुओं ने फूंक दी जान
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देर रात तक चले हाई वोल्टेज ड्रामा ने एक बार सरकार के मनसूबे फिर से ध्वस्त कर दिए है.

गाजीपुर बोर्डर पर किसान आंदोलन को लेकर चले हाई वोल्टेज ड्रामा का देर रात अंत हो गया. देखते ही देखते सरकार के नुमांइदे खाली हाथ लौटने को मजबूर हो गये. क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन में एक नई जान फूंक दी.

जिस तरह से गणतंत्र दिवस के दिन हुए वबाल के बाद किसान आंदोलन पर प्रश्न वाचक चिन्ह लग गया था. चूँकि टीवी पर यह ड्रामा इस तरह पेश किया गया कि इस भूमिका में किसानों की ही सबसे बड़ी गलती है. किसानों के कारण ही पूरे देश की पूरे विश्व में थूथू हुई है. लकिन किसी मिडिया ने किसी से यह सवाल नहीं किया कि आखिर कुछ जत्था लालकिले तक पहुंचा कैसे?

इस घटना का श्रेय लेने में जुटी सरकार अब एक बार फिर से अपने बुने जाल में फंस गई. सरकार अब यह सोचकर हैरान जरुर होगी कि आज से संसद की कार्यवाही शुरू होगी और उस समय यह वबाल सरकार की नींद उड़ा देगा. सरकार ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी वहीं किसानों के टूटे हुए हौसले में एक बार फिर से नई जान फूंक आ गई है.

किसान नेता राकेश टिकैत के उस रोते हुए वीडियो को देखकर किसानों में बेहद नाराजगी है. जो किसान लालाकिलेकी बात को लेकर खुद को अपमानित महसूस कर रहा था वो किसान अब फिर से आंदोलन स्थल के लिए निकल पड़ा है. इस बढती भीड़ को देखकर देर रात गाजियाबाद प्रसाशन राकेश टिकैत की पास हालचाल लेने पहुंचा जबकि वही प्रसाशन दिन भर जवानोंके बूंट की आवाज सुनकार दिल दहला रहा था.

बता दें कि छब्बीस जनवरी की परेड में किसानों के उमड़े जन सैलाब ने सरकार के कान खड़े कर दिए थे. इस लिहाज से मोदी सरकार ने और बड़े मिडिया घरानों से मिलकर इस आंदोलन को नेस्तनाबूंद करने की सुपारी ले ली. किसानों की परेड को जितना बदनाम करने की कोशिश की गई उतनी कम कही जाय. किसान को नक्सली , खालिस्तानी , टुकडे टुकड़े गैंग की संज्ञा दी गई. उसके बाद घटी घटना किसान को बैकफुट पर ला दिया.

चूँकि मिडिया घरानों ने यह साबित कर दिया कि किसानों के द्वारा की गई हरकत से देश की शर्मशार हो गया है जबकि किसी बड़े घराने ने यह सवाल आज तक सरकार से नहीं किया है कि यह लोग जिन्होंने लालकिल पर शर्मनाक घटना की उनको वहां तक जाने किसने दिया जबकि गणतंत्र दिवस पर लालकिले की सुरक्षा कई गुनी होती है. उस दौरान यह दुष्कर्मी कैसे पहुंचे. अभी अभी मिली जानकारी के मुताबिक दीप सिद्धू को गिरफ्तार कर लिया गया है.

आखिर में सरकार संदेश देना क्या चाहती है ? यह सवाल सबके जेहन में दौड़ रहा है. लोग जानना चाहते है कि बीजेपी के विधायक और नेता गाजीपुर आंदोलन स्थल पर गये क्यों? यह सवाल अब किसानों के दिमाग में घुस गया है. जहां इस आंदोलन पर अगर सरकार अभी चार दिन चुप रहती और आरोपियों पर सख्ती करती तो यह आंदोलन खुद ही निपट जाता लेकी सरकार की जल्द वाजी ने आंदोलन में प्राण फूंक दिए है.

अब देखना यह होगा कि अब इस आंदोलन की अगली गतिविधि क्या होगी?

वहीं इस रोते हुए वीडियो को देखकर राकेश टिकैत के इलाके में हडकम्प मच गया. आज पश्चिमी यूपी में किसानों ने मुजफ्फरनगर जिले में एक किसान पंचायत का एलान कर दिया है. उधर जात समाज के नेता और लोकदल के नेता चौधरी अजीत सिंह ने राकेश टिकैत को फोन करके हौसला बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि राकेश तुम डरो मत हम तुम्हारे साथ खड़े है.

वहीं कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने भी राकेश के साथ खड़े होने की बात कही है. अब देखना होगा कि इस आंदोलन की अगली रणनित क्या होगी अब अगला रास्ता महापंचायत से निकलेगा अगला रास्ता.



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