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Indian Railway: वरिष्ठ नागरिकों की राहत खत्म कर रेलवे ने हर रोज कमाए करोड़ों रुपए, RTI में हुआ बड़ा खुलासा

Special Coverage Desk Editor
2 April 2024 12:24 PM GMT
Indian Railway: वरिष्ठ नागरिकों की राहत खत्म कर रेलवे ने हर रोज कमाए करोड़ों रुपए, RTI में हुआ बड़ा खुलासा
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Indian Railway: रेलवे का सफर देश की आम जनता के लिए आरामदायक तो होता ही है साथ ही किफायती भी होता है। लेकिन रेलवे अपना भी जेब भरने में पीछे नहीं हटती है। दरअसल, एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि रेलवे ने बुजुर्गों की राहत को खत्म करके हर रोज करीब 4करोड़ रुपए की कमाई की है।

Indian Railway: रेलवे का सफर देश की आम जनता के लिए आरामदायक तो होता ही है साथ ही किफायती भी होता है। लेकिन रेलवे अपना भी जेब भरने में पीछे नहीं हटती है। दरअसल, एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि रेलवे ने बुजुर्गों की राहत को खत्म करके हर रोज करीब 4करोड़ रुपए की कमाई की है। ये आंकड़ा 4 साल का बताया जा रहा है। 20 मार्च 2020 को रेल मंत्रालय ने कोरोना महामारी के वजह से लॉकडाउन का ऐलान होने के बाद सीनियर सिटीजंस को ट्रेन किराए में दी जाने वाली छूट वापस ले ली थीं। उस समय तक रेलवे महिला यात्रियों को ट्रेन किराये में 50 प्रतिशत और पुरुष एवं ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों को 40 प्रतिशत की छूट देता था।

बुजुर्गों को यात्री किराये में दी जाने वाली छूट खत्म होने के बाद क्या स्थिति थी उसकी तस्वीर आरटीआई आवेदनों पर आए जवाबों से स्पष्ट हुई है। मध्य प्रदेश के रहने वाले चंद्र शेखर गौड़ ने अलग-अलग समय पर आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदन दायर कर जानकारी निकाली है। चंद्र शेखर गौड़ ने कहा कि मैंने आरटीआई अधिनियम के तहत तीन आवेदन दायर किए। पहले आवेदन में, रेलवे ने मुझे 20 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक का अतिरिक्त राजस्व आंकड़ा दिया। दूसरे आवेदन में एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक का आंकड़ा सामने आया।

तीन आवेदन से मिला ब्योरा

फिर फरवरी, 2024 में दाखिल तीसरे आवेदन से मुझे एक अप्रैल, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक का ब्योरा मिला। गौड़ ने बताया कि उन्होंने बताया कि रेलवे ने वर्ष और लिंग के आधार पर आंकड़े दिए हैं। इनके सहारे हम 20 मार्च, 2020 से 31 जनवरी, 2024 तक रेलवे द्वारा एकत्र किए गए अतिरिक्त राजस्व का आसानी से पता लगा सकते हैं। इन प्रतियों से पता चलता है कि लगभग चार साल की अवधि में लगभग 13 करोड़ पुरुष, नौ करोड़ महिला और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने लगभग 13,287 करोड़ रुपये का कुल राजस्व देकर ट्रेन यात्राएं की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए 50 फीसदी और पुरुष एवं ट्रांसजेंडर सीनियर सिटीजंस के लिए पहले लागू 40 फीसदी रियायत की गणना करने पर यह राशि 5,875 करोड़ से अधिक बैठती है।

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