
समलैंगिक विवाह पर कल फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह पर कल सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुना सकता है।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाकर उनका रजिस्ट्रेशन किए जाने की मांग की गई है।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था. इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाता. ऐसे में समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिलनी चाहिए।
SC ने मई में फैसले को रखा है सुरक्षित
मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ,जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। ने दस दिन की सुनवाई के बाद इस साल मई में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अन्य घटनाक्रमों को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा है कि,''अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय संदर्भ में गलत था गर्भपात का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और किसी व्यक्ति का गोद लेने का अधिकार पर भारत में उनकी वैवाहिक स्थिति से प्रभावित नहीं होता है।"
SC युवाओं के भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं ले सकती
SC ने कहा कि, ''यह विधायिका पर निर्भर है कि समलैंगिक संबंधों को मान्यता दें या नहीं लेकिन सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे जोड़ों को विवाह के लेबल के बिना सामाजिक और अन्य लाभ और कानूनी अधिकार दिए जाएं.'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें युवाओं के भावनाओं के आधार पर मुद्दों पर फैसला नहीं ले सकती हैं. विवाह केवल वैधानिक ही नहीं, बल्कि संवैधानिक सुरक्षा के भी हकदार हैं।
हालंकि केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया और कहा कि यह शहरी सोच है, इसकी मांग बड़े शहरों में रहने वाले कुछ अभिजात्य लोगों की है. केंद्र ने कहा था, ''समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा देने का असर सब पर पड़ेगा।"
Satyapal Singh Kaushik
न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।