राष्ट्रीय

निज़ामुद्दीन मरकज़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा 2 हफ्ते में जवाब

Arun Mishra
27 May 2020 9:10 AM GMT
निज़ामुद्दीन मरकज़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा 2 हफ्ते में जवाब
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से निज़ामुद्दीन मरकज़ के आयोजन की सीबीआई जांच की मांग पर जवाब तलब किया है. अदालत में दायर याचिका में सवाल उठाया गया है कि आखिर कोविड-19 के कारण देशभर में किए गए लॉकडाउन के दौरान भला किस तरह से निजामुद्दीन मरकज में देश-विदेश के लोग बड़ी तादाद में साथ थे.

याचिकाकर्ता ने कोरोनावायरस से लोगों के जीवन की सुरक्षा में लापरवाह रवैया अपनाने को लेकर केंद्र (Centre) और दिल्ली सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया. CJI एसए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय कि पीठ ने सुप्रिया पंडित की याचिका पर सुनवाई करने के बाद सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका में तबलीगी जमात (Tablighi Jamat) सम्मेलन के पहलुओं पर सीबीआई (CBI) जांच की मांग की गई है.

कैसे बड़े पैमाने पर लोग इकट्ठा हुए

जम्मू की रहने वाली वकील सुप्रिया पंडिता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि विदेशी प्रतिनिधियों समेत बड़े पैमाने पर लोगों के एकत्र होने कि अनुमति कैसे दी गई, जबकि दुनिया भर में कोरोना महामारी का खतरा मंडरा रहा था. याचिका में दिल्ली और देश के लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने के लिए केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया है गया है.

SG ने कहा 2 हफ्ते में दाखिल करेंगे जवाब

केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि हम एक सप्ताह में जवाब दाखिल करेंगे, तब कोर्ट ने एनसीटी, दिल्ली सरकार समेत अन्य पक्षकारों से भी जवाब मांगा है.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से तबलीगी जमात के आयोजन के खिलाफ मीडिया में आई प्रतिकूल खबरों के मामले में 2 सप्ताह जवाब दाखिल करने को कहा है. सीजेआई बोबडे की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए तबलीगी मरकज के आयोजन के लिए मीडिया के कुछ वर्गों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

जमीयत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ से कहा यह एक गंभीर मामला है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम सभी मामलों को गंभीरता से लेते हैं, आपको हमें बार-बार बताने की जरूरत नहीं है, इसकी एक न्यायिक प्रक्रिया है. सीजेआई ने मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी पूछताछ की.

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