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सुशांत सिंह की मौत को 78 दिन हुए, 78 दिनों मे 6080 हत्या, 6840 बलात्कार, 2780 किसानों ने आत्महत्या की, किसी मीडिया ने दिखाया?

Shiv Kumar Mishra
29 Sep 2020 3:23 AM GMT
सुशांत सिंह की मौत को 78 दिन हुए, 78 दिनों मे  6080 हत्या, 6840 बलात्कार, 2780 किसानों ने आत्महत्या की, किसी मीडिया ने दिखाया?
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इस हत्या को आज अस्सी दिन हो गये. इन अस्सी दिनों में कितनी बडी बड़ी खबरें आई और चली गई लेकिन उन खबरों पर मिडिया चैनलों का जरा भी ध्यान नहीं गया.

भारत देश में अब एक प्रचलन नया शुरू हुआ है कि आकाओं के निर्देश पर अब चैनल पर ख़बरें चलेंगी. आज सुशांत सिंह राजपूत की हत्या हो गई. इस हत्या को आज अस्सी दिन हो गये. इन अस्सी दिनों में कितनी बडी बड़ी खबरें आई और चली गई लेकिन उन खबरों पर मिडिया चैनलों का जरा भी ध्यान नहीं गया.

इन बड़ी खबरों में कोरोना, चीन का हमला , किसान बिल , बेरोजगारी , भुखमरी , हत्या , बलात्कार और किसान आत्महत्या तक की खबर किसी चैनल पर नहीं चली. अगर इन ख़बरों में से कोई खबर चली होगी तो भी बहुत कम या खाना पूर्ति की रही होगी. लेकिन सुशांत सिंह राजपूत से जुडी हर खबर सबसे पहले दिखाने की होड़ में देश बहुत पीछे जा चुका है क्योंकि मीडिया समाज का आइना होता है. और आईना जब अपना काम बंद करता है या फिर उसमें दिखना बंद होता है तो आपके चेहरे का नूर चला जाता है. लिहाजा अब भारत का नूर गर्दिश में है.

अब सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को आज अस्सीवां दिन है. जबकि हमारे आपस जो डेटा है वो ७८ दिन का है उसके मुताबिक सुशांत सिंह की मौत को 78 दिन हुए, इन 78 दिनों मे 6080 हत्यायें, 6840 बलात्कार, 2780 किसानों ने आत्महत्या की. किसी मीडिया ने दिखाया? यह बात वरिष्ठ पत्रकार संदीप चौधरी ने उठाई है.



हालाँकि इस बात से चाहे किसी का कोई मतलब न हो लेकिन जब गहराई से सोचोगे तो इस बात से हर भारतीय का मतलब निकलेगा. जहां सुशांत की मौत बिहार चुनाव के बाद बक्से में बंद हो जाएगी और महाराष्ट्र में इस सरकार क पतन हो जाएगा सुशांत राजपूत की आत्मा को न्याय मिल जाएगा. क्योंकि गुप्तेश्वर पाण्डेय ने इस बात पर मुहर लगाकर तस्दीक कर दिया है कि यह खेल सुशांत की मौत का खुलासा नहीं बिहार का राजपूत वोट है.

अब इस देश में किसान मरे या जिंदा बचे सरकार का सरोकार न पहले था न आज है. तो यह कोई नई बात नहीं है लेकिन जिस तरह से पिछले काफी समय से मिडिया का सरोकार हटा है उससे जरुर प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा हुआ है. कि आखिर अब देश में जनता की बात करने के लिए कौन आगे आएगा. इस बात पर जब किसी कौने में एक किसान आत्महत्या करता था तो बबाल खड़ा हो जाता था आज देश में 2780 किसानों ने आत्महत्या की. किसी मीडिया ने दिखाया? वहीं 6080 हत्यायें, 6840 बलात्कार हो गए और हम खामोश है क्यों? चुप रहे तो आपकी आवाज खामोश की जा रही है बाकी आप खुद जानो.

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