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हमारे वैज्ञानिकों की प्रगति के लिए और उनको बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है : प्रो. पी.के. जोशी

Desk Editor
27 Aug 2021 12:45 PM GMT
हमारे वैज्ञानिकों की प्रगति के लिए और उनको बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है : प्रो. पी.के. जोशी
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इन कार्यक्रमों का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर किया जा रहा है। वर्ष भर चलने वाले इस विज्ञान समारोह में प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, प्रतियोगिताओं, विज्ञान यात्राओं और प्रस्तुतियों के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर परस्पर सम्वाद किया जाएगा।

पीआईबी, नई दिल्ली: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विज्ञान के गुमनाम नायकों को याद करने के लिए विज्ञान शिक्षकों के महा सम्मेलन पर कर्टेन रेजर कार्यक्रमों में कई शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख एक साथ आए। इस वर्ष 17-18 नवंबर को होने वाले इस महा सम्मेलन का उद्देश्य विज्ञान शिक्षकों और छात्रों को स्वतंत्रता से पहले युग के दौरान देश की वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किए गए संघर्षों और सत्याग्रहों के प्रति संवेदनशील बनाना है। आयोजन विज्ञान प्रसार भारती के द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं जो दूरदर्शन पर प्रसारित भी किए जा रहे हैं।

इन कार्यक्रमों का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर किया जा रहा है। वर्ष भर चलने वाले इस विज्ञान समारोह में प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, प्रतियोगिताओं, विज्ञान यात्राओं और प्रस्तुतियों के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर परस्पर सम्वाद किया जाएगा।

विज्ञान प्रसार से डॉ. बी. के. त्यागी ने स्वतंत्रता से पहले भारतीय विज्ञान के इतिहास और राष्ट्र निर्माण में वैज्ञानिकों और विज्ञान शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका का एक स्नैपशॉट प्रस्तुत किया। उन्होंने दादा भाई नौरोजी का उल्लेख किया जिन्होंने अकाल का सामना करने के बावजूद ब्रिटिश संसद में पश्चिम बंगाल से 4000 टन चावल निर्यात करने का मुद्दा उठाया था।, विज्ञान प्रसार से वैज्ञानिक डॉ अरविंद सी. रानाडे, ने स्वतंत्रता संग्राम में कई भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान पर चर्चा की, जैसे राधानाथ सिकदर, जिन्होंने एवरेस्ट पर्वत की की, महेंद्रलाल सरकार जिन्होंने इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की स्थापना की और एक गणितज्ञ आशुतोष मुखर्जी , जिन्होंने कोलकाता में कॉलेज ऑफ साइंस की शुरुआत की ।

विज्ञान भारती (विभा-वीआईबीएचए) के राष्ट्रीय आयोजन सचिव, जयंत सहस्रबुद्धे ने कहा कि "हमें अपने उत्सवों को केवल उन स्वतंत्रता सेनानियों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, बल्कि हमें उन महान वैज्ञानिकों के सपनों को याद रखने की जरूरत है, जो इस दौरान प्रतिकूल परिस्थितियां होने पर भी अपनी वैज्ञानिक सोच के लिए खड़े रहे।" उन्होंने जगदीश चंद्र बोस के पहले सत्याग्रह का उल्लेख किया, जो उच्च अध्ययन के बाद ब्रिटेन से लौटे और भारत में अध्यापन करने लगे, लेकिन तीन साल तक कम वेतन न लेकर अंग्रेजों का विरोध किया। उन्होंने अपनी खुद की भौतिक प्रयोगशाला स्थापित की थी और सूक्ष्म तरंग (माइक्रो वेव ) के बारे में बात करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। सहस्रबुद्धे ने कहा कि अंग्रेजों ने न केवल हमारे धन को लूटा, बल्कि हमारे बीच हीन भावना पैदा करके हमारे आत्मविश्वास को भी तोड़ दिया।

संयुक्त आयुक्त (शिक्षाविद), नवोदय विद्यालय समिति के संयुक्त आयुक्त ज्ञानेंद्र कुमार ने सी. वी. रमन के नोबल पुरस्कार समारोह में भारतीय ध्वज के गुम हो जाने पर अपने साथ विश्वासघात महसूस किया। वहीं उन्होंने भारत में विज्ञान के विकास के लिए पुरूस्कार के रूप में मिली पूरी राशि समर्पित कर दीI

केन्द्रीय माध्मिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) के निदेशक डॉ. बिस्वजीत साहा ने कहा कि छात्रों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के बजाय अब भी माता-पिता और शिक्षक समान रूप से छात्र द्वारा अर्जित अंकों पर जोर देते हैं। उन्होंनेजोर देकर कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में विज्ञान के इतिहास को शामिल करने से आवश्यक वैज्ञानिक सोच विकसित करने में मदद मिलेगी।

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